इस पोस्ट में हम आपको स्वाइन फ्लू से जुड़ी हुई जानकारियां, प्रश्न-उत्तर और भ्रांतियों के बारे में बताएंगे।
★ कोई भी फैसला लेने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें। यहाँ पर दी गई जानकारी केवल शैक्षिक उद्देश्यों के लिए हैं। यह वेबसाइट आपको किसी भी प्रकार का फैसला लेने के लिए प्रेरित नही करती है।
क्या स्वाइन फ्लू की संभावना होने पर स्वाइन फ्लू की जांच ( throat swab ) की हमेशा ज़रूरत है ?
उत्तर :- नहीं । स्वाइन फ्लू के इलाज के लिए मरीज़ के लक्षण मात्र से इलाज किया जाता है। जांच मात्र कुछ ही मरीजों में की जाती है जिसका मुख्य उद्देश्य मरीज़ के इलाज में बदलाव न होकर आंकड़े एकत्र करना होता है। जिससे एपिडेमिक इत्यादि की स्थिति पर नज़र रखी जा सके।
प्राइवेट में जांच जहाँ 6 से 8 हज़ार की है वहीं सरकारी अस्पतालों में या तो उपलब्ध नहीं है या 2 से 5 दिन में रिपोर्ट आती है। जिससे मरीज़ घबराते हैं कि जांच नहीं हो पा रही।
जबकि लगभग सभी मरीजों में मात्र लक्षणों के आधार पर दवा आरम्भ करना होता है।
स्वाइन फ्लू को गंभीरता के लक्षणों के आधार पर 3 केटेगरी में बांटा गया है।
- केटेगरी A
- केटेगरी B
- कैटेगरी C
कैटेगरी A :-
मात्र हल्की सर्दी खांसी और बुखार होने पर ‘स्वाइन फ्लू कैटेगरी ए’ कहा जाता है। जिसमें न तो जांच करनी होती है स्वाइन फ्लू की न ही स्वाइन फ्लू वायरस को मारने की दवा देनी होती है। मरीज़ को घर पर ही रह कर सामान्य भोजन एवं आराम करना होता है। वह 5 दिन में ठीक हो जाता है। ऐसा स्वाइन फ्लू के 90 प्रतिशत से अधिक मरीजों में होता है।
कैटेगरी B :-
स्वाइन फ्लू 8 प्रतिशत लोगों में आगे बढ़ सकता है।
कैटेगरी B में तेज़ बुखार के साथ गले में तेज दर्द होता है।
कैटेगरी A के लक्षण यदि 2 वर्ष से छोटे बच्चे, 65 वर्ष से ऊपर वृद्ध, शुगर के मरीज़, किडनी, लिवर की क्रोनिक बीमारियों के मरीज़, गर्भस्थ मां में हों तो इन्हें भी कैटेगरी बी माना जाता है। क्योंकि इन मरीजों में स्वाइन फ्लू के तेज़ी से आगे बढ़ने की संभावना इम्युनिटी कम होने से अधिक होती है।
कैटेगरी B में दवा टैमीफ्लू दी जाती है। 5 दिनों के लिए।
मरीज़ को घर पर ही रहना होता है। एवं गले के स्वाब की जांच कैटेगरी बी में नहीं ली जाती।
कैटेगरी C :-
इस कैटेगरी में मरीज़ गंभीर होता है। तेज़ सांस चलना, लस्त होना जैसे लक्षण होते हैं। मरीज़ को स्वाइन फ्लू वार्ड में भर्ती कर इलाज किया जाता है।
सिर्फ कैटेगरी सी के मरीजों की ही गले के स्वाब की जांच भेजी जाती है। मरीज़ को ऑक्सीजन, ड्रिप , एन्टी बायोटिक के अतिरिक्त टेमी फ्लू गोलियाँ दी जाती हैं 5 दिनों तक।
अतः आप देख सकते हैं मात्र गंभीर मरीज़ जो कि मात्र 1 प्रतिशत होंगे कुल मरीजों के उनमें ही जांच की आवश्यकता है। रिपोर्ट इस केस में भी देर से आ सकती है किंतु दवा रिपोर्ट आने के पहली ही इन में भी आरम्भ कर दी जाती है।
बिना जांच के टैमीफ्लू लेने से कोई साइड इफ़ेक्ट तो न होंगे ?
दुनिया में कोई भी तत्व बिना साइड इफ़ेक्ट की संभावना के नहीं है। यहाँ तक कि जीवनदायिनी ऑक्सिजन फ्री रेडिकल डैमेज से हमें बूढ़ा बना है, कैंसर और नवजात शिशुओं में अंधत्व का कारण बन सकती है। वहीं जीवन दायिनी पानी के भी अनेकों साइड इफ़ेक्ट संभव हैं।
ऐसे में टैमीफ्लू के भी संभावित साइड इफ़ेक्ट हैं । किन्तु टैमीफ्लू स्वाइन फ्लू कैटेगरी बी एवं केटेगरी सी के संभावित खतरों से बेहद सुरक्षित है।
क्या स्वाइन फ्लू बेहद ख़तरनाक है ?
उत्तर :- नहीं । 90 प्रतिशत से अधिक केस स्वतः ठीक हो जाते हैं। बाकी में कैटेगरी बी के समय टैमीफ्लू दिए जाने से कोई खतरा नहीं होता।
क्योंकि सबसे ख़राब एपिडेमिक के समय भी 1 प्रतिशत लोगों को ही यह संक्रमण हुआ था। अतः यदि मैं कोई भी दवा 100 लोगों को पिलाऊं तो उस सीज़न में 100 में से 99 लोगों को स्वाइन फ्लू नहीं होगा। वे 99 सोचेंगे मेरी दवा की वजह से उन्हें नहीं हुआ। जिस एक को होगा उसकी कौन सुनेगा।
अब इसे कुछ लाख लोगों में बदल कर देखिये आपको, धारणाएं कैसे बनती हैं का कारण मिल जाएगा।
टीका :-
छः माह के बाद किसी भी उम्र के लोगों को लग सकता है। कीमत अलग अलग ब्रांड की 800 से 1300 के आसपास होती है। 70 प्रतिशत सुरक्षा 4 विभिन्न वायरस से मिलती है। 1 से 2 वर्ष के लिए । टीका आमतौर पर सभी शिशु रोग विशेषज्ञों के पास होता है।
★ Corona Virus पर सर्वाधिक पूछे जाने वाले प्रश्नों और भ्रांतियों की विश्वसनीय जानकारी
★ कोई भी फैसला लेने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें। यह वेबसाइट आपको किसी भी प्रकार का फैसला लेने के लिए प्रेरित नही करती है।