भारत में कई शादीशुदा जोड़े ऐसे हैं, जिन्हें बच्चा नहीं हो पाता। कोई मेडिकल वजह हो सकती है या कोई और कारण। ऐसे में कुछ लोग बच्चा गोद लेते हैं, लेकिन कई को अपना खून चाहिए। इसके लिए वो सरोगेसी का रास्ता चुनते हैं। इसमें एक औरत उनकी कोख किराए पर देती है, बच्चा पैदा करती है, और फिर वो बच्चा कपल को दे दिया जाता है। पहले कुछ लोग इसे बिजनेस बनाकर पैसे कमाते थे, लेकिन अब सरकार ने इसे सख्त कर दिया है। तो सवाल ये है—भारत में सरोगेसी के लिए कानून क्या कहता है? अगर आपको नहीं पता, तो ये आर्टिकल पूरा पढ़ें। चलिए आसान भाषा में समझते हैं!
सरोगेसी क्या होती है?
जब कोई कपल खुद बच्चा पैदा नहीं कर पाता, तो वो सरोगेसी का सहारा लेता है। इसमें एक औरत उनके लिए बच्चा पैदा करती है। कपल और उस औरत के बीच एक समझौता होता है—वो 9 महीने तक बच्चे को अपनी कोख में रखती है, जन्म देती है, और फिर बच्चा कपल को सौंप देती है। इस बच्चे को “सरोगेट चाइल्ड” कहते हैं। पहले इसमें पैसे का लेन-देन आम था, लेकिन अब कानून ने इसे बदल दिया है।
सरोगेसी के दो प्रकार
1. ट्रेडिशनल सरोगेसी
इसमें पति का स्पर्म लिया जाता है और सरोगेट औरत के अंडे के साथ मिलाया जाता है। फिर वो भ्रूण उस औरत की कोख में डाला जाता है। ऐसे में बच्चा सिर्फ पिता से जेनेटिकली जुड़ा होता है, माँ से नहीं।
2. गर्भकालीन सरोगेसी
यहाँ पति का स्पर्म और पत्नी का अंडा बाहर लैब में मिलाया जाता है (IVF से), और फिर भ्रूण को सरोगेट की कोख में डाला जाता है। इस तरह बच्चा माँ और पिता दोनों से जेनेटिकली जुड़ा होता है। भारत में अब यही तरीका ज्यादातर यूज़ होता है।
क्या भारत में सरोगेसी लीगल है?
हाँ, भारत में सरोगेसी कानूनी है, लेकिन सख्त नियमों के साथ। पहले यहाँ कमर्शियल सरोगेसी होती थी—लोग पैसे देकर कोख किराए पर लेते थे। इससे कुछ महिलाओं का शोषण हुआ, कई की सेहत खराब हुई, और कुछ की मौत भी हो गई। इसलिए सरकार ने 2021 में **सरोगेसी (रेगुलेशन) एक्ट** पास किया। अब सिर्फ “एल्ट्रूइस्टिक सरोगेसी” (निस्वार्थ सरोगेसी) की इजाज़त है—यानी पैसे का लेन-देन नहीं, बस मेडिकल खर्च और इंश्योरेंस मिलेगा। ये सिर्फ उन कपल्स के लिए है, जो बच्चा पैदा नहीं कर सकते।
सरोगेसी की इजाज़त कब मिलती है?
कानून के मुताबिक, सरोगेसी सिर्फ उन कपल्स को मिल सकती है जो मेडिकल वजह से बच्चा पैदा नहीं कर सकते। इसके लिए कुछ शर्तें हैं:
- कपल की शादी को कम से कम 5 साल हो गए हों।
- पत्नी की उम्र 23-50 और पति की 26-55 के बीच हो।
- उनका कोई बच्चा (बायोलॉजिकल, गोद लिया, या सरोगेट) न हो—सिवाय इसके कि बच्चा गंभीर बीमारी से पीड़ित हो।
- डॉक्टर से सर्टिफिकेट लेना होगा कि वो बच्चा पैदा नहीं कर सकते।
सिंगल पुरुष, लिव-इन कपल, या समलैंगिक जोड़े सरोगेसी का इस्तेमाल नहीं कर सकते। हालांकि, 35-45 साल की विधवा या तलाकशुदा औरतें इसे यूज़ कर सकती हैं।
सरोगेट बनने की शर्तें
- औरत की उम्र 25-35 साल के बीच हो।
- वो शादीशुदा हो और उसका अपना बच्चा हो।
- वो सिर्फ एक बार सरोगेट बन सकती है।
- उसे मेडिकल और साइकोलॉजिकल फिटनेस का सर्टिफिकेट चाहिए।
- 2024 के नए नियम के मुताबिक, वो कपल की करीबी रिश्तेदार होना ज़रूरी नहीं—कोई भी तैयार औरत सरोगेट बन सकती है।
सरोगेसी कानून के अहम नियम
- कमर्शियल सरोगेसी बैन है—पैसे लेकर कोख देना गैरकानूनी है।
- कपल को बच्चे के लिए माँ या पिता का जेनेटिक कनेक्शन चाहिए (2024 संशोधन: डोनर गैमीट यूज़ हो सकता है, अगर एक पार्टनर का मेडिकल इश्यू हो)।
- सरोगेट गर्भपात नहीं कर सकती, जब तक मेडिकल वजह न हो और सरकार से इजाज़त मिले।
- विदेश में सरोगेसी से पैदा बच्चे को भारत में नागरिकता नहीं मिलेगी।
- बच्चा 18 साल का होने पर जान सकता है कि वो सरोगेसी से पैदा हुआ है।
- उल्लंघन पर 10 साल तक की जेल और 10 लाख तक जुर्माना हो सकता है।
सरोगेसी बिल 2019 और 2021 का कानून
2019 में लोकसभा में **सरोगेसी बिल** पेश हुआ, जिसे बाद में 25 दिसंबर 2021 को **सरोगेसी (रेगुलेशन) एक्ट** के तौर पर पास किया गया। इसे राष्ट्रपति ने मंजूरी दी और जनवरी 2022 से लागू हुआ। इसने कमर्शियल सरोगेसी पर रोक लगाई और सिर्फ निस्वार्थ सरोगेसी को मंजूरी दी। सरकार ने नेशनल सरोगेसी बोर्ड और स्टेट बोर्ड बनाए, जो इसके नियमों की निगरानी करते हैं।
आखिरी बात
अब आपको पता चल गया होगा कि भारत में सरोगेसी कैसे काम करती है और इसके नियम क्या हैं। ये कानून शोषण रोकने और सही लोगों को फायदा देने के लिए बनाया गया है। कोई सवाल हो तो कमेंट करें, जवाब ज़रूर दूंगा। अगले आर्टिकल में मिलते हैं!