नाक भौं सिकोड़ना मुहावरे का अर्थ और प्रयोग

हिंदी भाषा में मुहावरे हमारी बात को रोचक और प्रभावशाली बनाने का काम करते हैं। ये छोटे-छोटे वाक्यांश किसी खास भाव या स्थिति को बयां करते हैं, जो आम बोलचाल में खूब इस्तेमाल होते हैं। अगर आपको “नाक भौं सिकोड़ना” मुहावरे का मतलब नहीं पता या आप इसके सही प्रयोग को समझना चाहते हैं, तो यह लेख आपके लिए है। खासकर छात्रों के लिए यह जानकारी उपयोगी हो सकती है, क्योंकि स्कूल हो या प्रतियोगी परीक्षा, मुहावरों से जुड़े सवाल अक्सर पूछे जाते हैं। आइए, इस मुहावरे का अर्थ, व्याख्या और वाक्यों में प्रयोग विस्तार से जानते हैं।

नाक भौं सिकोड़ना मुहावरे का अर्थ क्या है?

“नाक भौं सिकोड़ना” मुहावरे का अर्थ है नाराजगी, असंतोष या घृणा प्रकट करना। जब कोई व्यक्ति किसी बात, चीज या स्थिति से खुश नहीं होता और अपने चेहरे के हावभाव से यह दिखाता है, तो इस मुहावरे का इस्तेमाल किया जाता है। यह आमतौर पर तब होता है जब कोई चीज पसंद न आए या उसे स्वीकार करने में संकोच हो।

नाक भौं सिकोड़ना मुहावरे की व्याख्या

इस मुहावरे का सीधा संबंध चेहरे के भावों से है। जब हम नाक-भौं सिकोड़ते हैं, तो चेहरा सिकुड़ जाता है, जो असंतोष या नापसंदगी का संकेत देता है। उदाहरण के लिए, मान लीजिए श्याम ने राम से पैसे उधार मांगे। श्याम को पैसे देने में राम को झिझक हो रही है और वह चेहरे पर नाराजगी दिखाते हुए नाक-भौं सिकोड़ता है। यानी वह पैसे देने को तैयार तो है, लेकिन मन से खुश नहीं है। यह मुहावरा रोजमर्रा की जिंदगी में ऐसी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए बेहद लोकप्रिय है।

नाक भौं सिकोड़ना मुहावरे का वाक्यों में प्रयोग

  • रवि को देखते ही रमेश नाक-भौं सिकोड़ लेता है। (रमेश को रवि से कोई नाराजगी है, जो उसके चेहरे पर साफ दिखती है।)
  • आजकल लोग एक-दूसरे को देखकर नाक-भौं सिकोड़ते हैं। (लोगों में आपसी असंतोष या नापसंदगी बढ़ गई है।)
  • मां ने राहुल और रोहित को लड्डू खाने को दिए, लेकिन दोनों ने नाक-भौं सिकोड़कर मना कर दिया। (लड्डू पसंद न आने की वजह से दोनों ने नाराजगी दिखाई।)
  • किसी गरीब को देखकर नाक-भौं नहीं सिकोड़ना चाहिए। (गरीबों के प्रति सहानुभूति रखनी चाहिए, न कि घृणा दिखानी चाहिए।)
  • अमीर लोग गरीबों को देखते ही नाक-भौं सिकोड़ लेते हैं। (कई बार अमीरों में गरीबों के लिए तिरस्कार का भाव देखा जाता है।)
  • भारत जैसे देश में गरीबों को देखकर नाक-भौं सिकोड़ना ठीक नहीं है। (यहां सभी को सम्मान देने की परंपरा है।)
  • सुनिता जैसी खूबसूरत लड़की को देखकर भी सुरज नाक-भौं सिकोड़ रहा था। (शायद सुरज को कुछ और पसंद नहीं आया।)

निष्कर्ष: “नाक भौं सिकोड़ना” एक ऐसा मुहावरा है, जो रोजमर्रा की जिंदगी में भावनाओं को व्यक्त करने के लिए बहुत काम आता है। इसका सही इस्तेमाल आपकी हिंदी को और आकर्षक बना सकता है। अगर आपको यह लेख पसंद आया हो या इसके बारे में कोई सवाल हो, तो नीचे कमेंट करें। ऐसे ही रोचक और उपयोगी लेखों के लिए बने रहें!

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