अगर आपके मन में ये कंफ्यूजन है कि Lease और Rent एक ही चीज़ हैं, तो रुकिए- ये दोनों अलग-अलग हैं! लोग अक्सर सोचते हैं कि मकान किराए पर लेना और लीज पर लेना एक बात है, लेकिन ऐसा नहीं है। चाहे आप घर ले रहे हों, दुकान, या जमीन, एग्रीमेंट साइन करने से पहले इनका फर्क समझना ज़रूरी है। आज हम आपको आसान भाषा में बताएंगे कि Lease और Rent में क्या अंतर है, और ये आपके लिए क्यों मायने रखता है। चलिए शुरू करते हैं!
Lease (लीज) क्या होता है?
लीज का मतलब है कि मकान मालिक आपको अपनी प्रॉपर्टी लंबे टाइम के लिए देता है। इसमें एक कागज़ बनता है, जिसमें लिखा होता है कि आप हर महीने कितना पैसा देंगे और कितने टाइम तक प्रॉपर्टी यूज़ कर सकते हैं। आसान शब्दों में, ये एक बड़ा किराया समझौता है। मालिक को “पट्टेदार” (Lessee) और आपको “पट्टा कर्ता” (Lessor) कहते हैं।
लीज ज़्यादातर 1 साल से लेकर 99 साल तक की हो सकती है। मगर छोटी लीज 11 महीने की भी होती है। टाइम पूरा होने पर आपको इसे रिन्यू करना पड़ता है, जिसमें थोड़ा एक्स्ट्रा पैसा लग सकता है। लोग दुकान, जमीन या फैक्ट्री के लिए लीज पसंद करते हैं।
Rent (किराया) क्या होता है?
रेंट का मतलब है कि आप मकान मालिक से घर या दुकान छोटे टाइम के लिए लेते हैं, आमतौर पर 11 महीने के लिए। एक कागज़ बनता है, जिसे रेंट एग्रीमेंट कहते हैं। इसमें लिखा होता है कि आप कितना किराया देंगे, कब तक रहेंगे, और क्या-क्या नियम फॉलो करने हैं। 11 महीने बाद या तो आप घर छोड़ते हैं, या मालिक से नया एग्रीमेंट बनाते हैं।
रेंट में ये चीज़ें शामिल होती हैं:
- कितने टाइम तक रहना है
- किराया कब बढ़ेगा
- पार्किंग का पैसा (अगर है तो)
- घर खाली करने के नियम
- क्या आप किसी और को घर दे सकते हैं (सबलेटिंग)
भारत में रेंट ज़्यादातर 11 महीने का होता है, क्योंकि 12 महीने से ज़्यादा की डील को लीज माना जाता है। 2021 में केंद्र सरकार ने नया किराया कानून बनाया, जिसे हर राज्य को फॉलो करना है।
रेंट एग्रीमेंट के फायदे
रेंट एग्रीमेंट करने से कई फायदे हैं:
- झगड़े से बचाव: मालिक और आपके बीच कोई दिक्कत हो, तो कागज़ से आसानी से सुलझ जाता है।
- एड्रेस प्रूफ: ये घर का सबूत बनता है, जिससे बैंक या सरकारी काम आसान हो जाते हैं।
- लोन में मदद: बैंक से पर्सनल लोन लेना हो, तो ये काम आता है।
- मरम्मत का झंझट नहीं: घर में कुछ टूटे, तो मालिक को ठीक करना पड़ता है, आपको पैसा नहीं लगाना।
Lease और Rent में अंतर
रेंट | लीज |
---|---|
छोटा टाइम (11 महीने) | लंबा टाइम (1 साल से 99 साल) |
सिर्फ यूज़ करने का हक | प्रॉपर्टी पर ज़्यादा कंट्रोल |
मरम्मत मालिक करता है | मरम्मत आपको करनी पड़ती है |
किराया नहीं बढ़ता | किराया बढ़ सकता है |
प्रॉपर्टी बदल नहीं सकते | मालिक की इजाज़त से बदलाव कर सकते हैं |
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
Q. रेंट एग्रीमेंट बनाने में कितना पैसा लगता है?
Ans. 100-200 रुपये के स्टांप पेपर पर बन जाता है।
Q. लीज का नियम क्या है?
Ans. लीज में मालिक आपको प्रॉपर्टी लंबे टाइम के लिए देता है, बदले में हर महीने पैसा लेता है।
Q. लीज कितने साल की होती है?
Ans. ज़्यादातर 99 साल, पर छोटी लीज 1-5 साल की भी हो सकती है।
Q. सरकारी जमीन लीज पर कैसे मिलती है?
Ans. जिला ऑफिस या सरकार की वेबसाइट पर अप्लाई करें। नीलामी या योजना के तहत भी मिल सकती है।
आखिरी बात
तो अब आप समझ गए होंगे कि Lease और Rent में क्या फर्क है। रेंट छोटे टाइम के लिए आसान है, जबकि लीज लंबी डील के लिए। एग्रीमेंट साइन करने से पहले ये सब चेक कर लें, ताकि बाद में पछताना न पड़े। कोई सवाल हो तो कमेंट करें, जवाब ज़रूर दूंगा। अगली बार फिर मिलते हैं!