शादी के कई साल बाद भी अगर किसी जोड़े को बच्चा न हो, तो उनके मन में सवाल उठता है कि उनकी जायदाद का वारिस कौन होगा? ऐसे में कई लोग बच्चा गोद लेना पसंद करते हैं। भारत में बच्चा गोद लेने के लिए कुछ कानून हैं, जिनमें से एक है, हिंदू एडॉप्शन एंड मेंटेनेंस एक्ट, 1956 (HAMA)। ये कानून खास तौर पर हिंदुओं के लिए है। अगर आप भी इसके बारे में जानना चाहते हैं कि बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया क्या है, तो ये आर्टिकल पूरा पढ़ें। चलिए आसान भाषा में समझते हैं!
कौन से बच्चे गोद लिए जा सकते हैं?
HAMA के तहत इन बच्चों को गोद लिया जा सकता है:
- अनाथ बच्चे, जिनके माँ-बाप न हों।
- छोड़े हुए (परित्यक्त) बच्चे, जिन्हें माँ-बाप ने छोड़ दिया हो।
- अनाथ आश्रम में रहने वाले बच्चे।
- रिश्तेदार का बच्चा, बशर्ते उसके माँ-बाप की मंजूरी हो।
- ऐसे बच्चे जिन्हें सौतेले माँ-बाप या दूसरी शादी की वजह से छोड़ दिया गया हो।
कौन बच्चा गोद ले सकता है?
HAMA हिंदुओं (सिख, जैन, बौद्ध सहित) पर लागू होता है। यहाँ पात्रता की शर्तें हैं:
- भारत का नागरिक हो।
- NRI या OCI भी बच्चा गोद ले सकते हैं, लेकिन अतिरिक्त नियम फॉलो करने होंगे।
- शादीशुदा जोड़ा, सिंगल पुरुष, या सिंगल औरत।
- सौतेली माँ या बाप अपने सौतेले बच्चे को गोद ले सकते हैं।
गोद लेने वाले माँ-बाप के लिए नियम
- दिमागी, शारीरिक, और भावनात्मक तौर पर फिट हों।
- पैसों की हालत ठीक हो, ताकि बच्चे की परवरिश कर सकें।
- कोई गंभीर बीमारी या जान का खतरा न हो।
- उम्र का फर्क: गोद लेने वाले और बच्चे की उम्र में कम से कम 21 साल का अंतर हो।
अविवाहित लोग बच्चा कैसे गोद लें?
- सिंगल औरत या पुरुष की उम्र 55 से ज़्यादा न हो।
- अगर आपके पहले से 2 से कम बच्चे हैं, तभी गोद ले सकते हैं।
- स्पेशल नीड्स वाला बच्चा, रिश्तेदार का बच्चा, या सौतेला बच्चा लेने पर 3 बच्चों के बाद भी गोद ले सकते हैं।
- सिंगल पुरुष लड़की को गोद नहीं ले सकता, लेकिन सिंगल औरत लड़का या लड़की दोनों ले सकती है।
HAMA के तहत गोद लेने की प्रक्रिया
हिंदू एडॉप्शन एक्ट के तहत बच्चा गोद लेना आसान है, लेकिन कुछ कानूनी कदम उठाने पड़ते हैं। यहाँ स्टेप-बाय-स्टेप प्रक्रिया है:
- मंजूरी लें: अगर बच्चे के माँ-बाप ज़िंदा हैं, तो उनकी लिखित मंजूरी चाहिए। अनाथ या परित्यक्त बच्चे के लिए कोर्ट की इजाज़त लेनी होगी।
- दस्तावेज तैयार करें: अपनी पहचान, शादी का सबूत (अगर शादीशुदा हैं), और मेडिकल रिपोर्ट जमा करें।
- कोर्ट में अर्जी: नज़दीकी सिविल कोर्ट में गोद लेने की याचिका (पिटीशन) डालें। इसमें बच्चे का ब्योरा और गोद लेने की वजह लिखें।
- सुनवाई: कोर्ट जाँच करेगा कि गोद लेना बच्चे के हित में है या नहीं। अगर माँ-बाप ने बच्चे को छोड़ा हो या कोर्ट ने उन्हें अक्षम माना हो, तो प्रक्रिया तेज़ होगी।
- आदेश: कोर्ट गोद लेने का ऑर्डर देगा। इसके बाद बच्चा कानूनी तौर पर आपका हो जाएगा।
- जन्म प्रमाण पत्र: ऑर्डर के 8 दिन बाद बच्चे का नया जन्म प्रमाण पत्र बनवाया जा सकता है।
नोट: अगर बच्चा अनाथ है और CARA (सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी) के पास रजिस्टर्ड है, तो प्रक्रिया CARA और जुवेनाइल जस्टिस एक्ट (JJ Act) के तहत होगी, न कि सिर्फ HAMA से।
NRI कैसे गोद लें?
- CARA में ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करें।
- हैग कन्वेंशन के तहत NOC (नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट) लें।
- अपने देश की एडॉप्शन एजेंसी से होम स्टडी रिपोर्ट बनवाएँ।
- CARA से बच्चे का चयन करें और मंजूरी लें।
- कोर्ट में याचिका डालें और ऑर्डर के बाद बच्चे का वीजा बनवाएँ।
कानून क्या कहते हैं?
भारत में गोद लेने के दो मुख्य कानून हैं:
- HAMA, 1956: ये सिर्फ हिंदुओं (सिख, जैन, बौद्ध सहित) के लिए है। 15 साल तक का बच्चा गोद लिया जा सकता है। कोर्ट की इजाज़त तब ज़रूरी है, जब बच्चा अनाथ हो, छोड़ा गया हो, या माँ-बाप मानसिक रूप से अक्षम हों।
- JJ Act, 2015: ये धर्मनिरपेक्ष कानून है। कोई भी (हिंदू या गैर-हिंदू) इसके तहत गोद ले सकता है। NRI और विदेशी भी इसी के तहत प्रक्रिया पूरी करते हैं।
ज़रूरी दस्तावेज
- पैन कार्ड, आधार कार्ड, या वोटर ID।
- जन्म प्रमाण पत्र।
- निवास प्रमाण (बिजली बिल, पासपोर्ट)।
- आय का सबूत (सैलरी स्लिप, ITR)।
- मेडिकल फिटनेस सर्टिफिकेट।
- शादीशुदा हैं तो मैरिज सर्टिफिकेट, तलाकशुदा हैं तो डिवॉर्स पेपर, विधवा/विधुर हैं तो मृत्यु प्रमाण पत्र।
खर्चा कितना आएगा?
- होम स्टडी रिपोर्ट: ₹6,000।
- चाइल्ड केयर कॉर्पस: ₹40,000।
- फॉलो-अप विजिट (2 साल में 4 बार): हर बार ₹2,000।
कुल मिलाकर ₹54,000 तक का खर्चा हो सकता है। कोर्ट फीस अलग से लग सकती है।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
Q. पहले से बच्चा हो तो गोद ले सकते हैं?
Ans. हाँ, अगर आपके 2 से कम बच्चे हैं। सिंगल पुरुष लड़की नहीं ले सकता, लेकिन सिंगल औरत लड़का या लड़की दोनों ले सकती है।
Q. सड़क पर मिले बच्चे को कैसे गोद लें?
Ans. उसे सीधे घर नहीं ला सकते। पहले पुलिस (1098 टोल-फ्री या थाना), SAA, CWC, या DCPU को बताएँ। फिर कानूनी प्रक्रिया फॉलो करें।
आखिरी बात
अब आपको पता चल गया होगा कि HAMA के तहत बच्चा गोद लेना कैसे होता है। ये प्रक्रिया आसान है, बस कुछ नियम और कागज़ात पूरे करने पड़ते हैं। कोई सवाल हो तो कमेंट करें, जवाब ज़रूर दूंगा। अगले आर्टिकल में मिलते हैं!