कफन – मुंशी प्रेमचंद की कहानी

कफन मुंशी प्रेमचंद जी द्वारा रचित आखिरी कहानी है। यह कहानी मूल रूप से पहले उर्दू में लिखी गई थी कफन घीसू – माधव पिता पुत्र की एक भावात्मक कहानी है। मुंशी प्रेमचंद की आपको ये कहानी पढ़नी चाहिए। कफ़न कहानी का उद्देश्य। कफ़न कहानी का उद्देश्य क्या है। कफन कहानी की आलोचना। कफन कहानी …

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आहुति – प्रेमचंद

(1)प्रेमचंद की कहानी – आहुति आनन्द ने गद्देदार कुर्सी पर बैठकर सिगार जलाते हुए कहा-आज विशम्भर ने कैसी हिमाकत की! इम्तहान करीब है और आप आज वालण्टियर बन बैठे। कहीं पकड़ गये, तो इम्तहान से हाथ धोएँगे। मेरा तो खयाल है कि वजीफ़ा भी बन्द हो जाएगा। सामने दूसरे बेंच पर रूपमणि बैठी एक अखबार …

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सियाह हाशिए – सआदत हसन मंटो

मंटो द्वारा लिखी गई सियाह हाशिये की कहानी भारत और पाकिस्तान विभाजन काल के समय हुई हिंसा के बारे में हैं। नीचे दी गई कहानियां जो की सियाह हाशिये से सम्बंधित हैं करामात (सियाह हाशिये) लूटा हुआ माल बरामद करने के लिए पुलिस ने छापे मारने शुरू किए। लोग डर के मारे लूटा हुआ माल …

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बू – सआदत हसन मंटो

सआदत हसन मंटो जो की अपनी रचनाओ के कारण अपने जीवनकाल में हमेशा विवादों में हमेशा विवादों में रहें। लेकिन बाद में उनकी रचनाएँ प्रचलित भी हुयी। ‘बू’ सआदत हसन मंटो की सबसे चर्चित कहानियों में से एक है। बू बरसात के यही दिन थे. खिड़की के बाहर पीपल के पत्ते इसी तरह नहा रहे …

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ठंडा गोश्त – सआदत हसन मंटो

ठंडा गोश्त एक काल्पनिक लघु कहानी है जो सआदत हसन मंटो द्वारा लिखी गई है। पुस्तक को पहली बार मार्च 1950 में पाकिस्तान में एक साहित्यिक पत्रिका में प्रकाशित किया गया था। बाद में इसे संग-ए-प्रकाशन प्रकाशन ने प्रकाशित किया। मंटो पर इस कहानी के लिए अश्लीलता का आरोप लगाया गया और आपराधिक अदालत में …

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टोबा टेकसिंह – सआदत हसन मंटो

टोबा टेकसिंह – सआदत हसन मंटो की कहानी 1947 की आजादी के दो या तीन साल बाद की गई है, जब भारत और पाकिस्तान की सरकारों ने कुछ मुस्लिम, सिख और हिंदू धर्मग्रंथों का आदान-प्रदान करने का फैसला किया, और यह बिशन सिंह के इर्द-गिर्द घूमती है, जो लाहौर में एक शरण के सिख कैदी …

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टिटवाल का कुत्ता – सआदत हसन मंटो

manto in hindi (उर्दू कहानी : अनुवाद : शम्भु यादव) कई दिनों से दोनों तरफ से सिपाही अपने-अपने मोर्चे पर जमे हुए थे। दिन में इधर और उधर से दस-बारह गोलियाँ चल जातीं, जिनकी आवाज़ के साथ कोई इनसानी चीख बुलन्द नहीं होती थी। मौसम बहुत खुशनुमा था। हवा जंगली फूलों की महक में बसी …

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खोल दो – सआदत हसन मंटो

अमृतसर से स्पेशल ट्रेन दोपहर दो बजे चली और आठ घंटों के बाद मुगलपुरा पहुंची। रास्ते में कई आदमी मारे गए। अनेक जख्मी हुए और कुछ इधर-उधर भटक गए। सुबह दस बजे कैंप की ठंडी जमीन पर जब सिराजुद्दीन ने आंखें खोलीं और अपने चारों तरफ मर्दों, औरतों और बच्चों का एक उमड़ता समुद्र देखा …

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