इस पोस्ट में श्रीमद्भगवत गीता चतुर्थ अध्याय को हिंदी अर्थ और अंग्रेजी अनुवाद के साथ दिया गया है। इस लिंक पे क्लिक करके पढ़िये गीता दसवां अध्याय अर्थ सहित।
गीता नवां अध्याय श्लोक – १
श्रीभगवानुवाच इदं तु ते गुह्यतमं प्रवक्ष्याम्यनसूयवे ।
ज्ञानं विज्ञानसहितं यज्ज्ञात्वा मोक्ष्यसेऽशुभात् ॥९-१॥
-: हिंदी भावार्थ :-
श्री भगवान बोले- तुझ दोषदृष्टिरहित भक्त के लिए इस परम गोपनीय विज्ञान सहित ज्ञान को पुनः भली भाँति कहूँगा, जिसको जानकर तू दुःखरूप संसार से मुक्त हो जाएगा॥1॥
-: English Meaning :-
THE BLESSED LORD SAID:
To thee who dost not cavil, I shall now declare this, the greatest secret, knowledge combined with experience, which having known thou shall be liberated from evil.
गीता नवां अध्याय श्लोक – २
राजविद्या राजगुह्यं पवित्रमिदमुत्तमम् ।
प्रत्यक्षावगमं धर्म्यं सुसुखं कर्तुमव्ययम् ॥९-२॥
-: हिंदी भावार्थ :-
यह विज्ञान सहित ज्ञान सब विद्याओं का राजा, सब गोपनीयों का राजा, अति पवित्र, अति उत्तम, प्रत्यक्ष फलवाला, धर्मयुक्त, साधन करने में बड़ा सुगम और अविनाशी है॥2॥
-: English Meaning :-
The Sovereign Science, the Sovereign Secret, the Supreme Purifier is this; immediately comprehensible, unopposed to Dharma, very easy to perform, imperishable.
गीता नवां अध्याय श्लोक – ३
अश्रद्दधानाः पुरुषा धर्मस्यास्य परन्तप ।
अप्राप्य मां निवर्तन्ते मृत्युसंसारवर्त्मनि ॥९-३॥
-: हिंदी भावार्थ :-
हे परंतप! इस उपयुक्त धर्म में श्रद्धारहित पुरुष मुझको न प्राप्त होकर मृत्युरूप संसार चक्र में भ्रमण करते रहते हैं॥3॥
-: English Meaning :-
Persons having no faith in this Dharma, O harasser of thy foes, without reaching Me, remain verily in the path of the mortal world.
गीता नवां अध्याय श्लोक – ४
मया ततमिदं सर्वं जगदव्यक्तमूर्तिना ।
मत्स्थानि सर्वभूतानि न चाहं तेष्ववस्थितः ॥९-४॥
-: हिंदी भावार्थ :-
मुझ निराकार परमात्मा से यह सब जगत् जल से बर्फ के सदृश परिपूर्ण है और सब भूत मेरे अंतर्गत संकल्प के आधार स्थित हैं, किंतु वास्तव में मैं उनमें स्थित नहीं हूँ॥4॥
-: English Meaning :-
By Me all this world is pervaded, My form un-manifested. All beings dwell in Me; and I do not dwell in them.
गीता नवां अध्याय श्लोक – ५
न च मत्स्थानि भूतानि पश्य मे योगमैश्वरम् ।
भूतभृन्न च भूतस्थो ममात्मा भूतभावनः ॥९-५॥
-: हिंदी भावार्थ :-
वे सब भूत मुझमें स्थित नहीं हैं, किंतु मेरी ईश्वरीय योगशक्ति को देख कि भूतों का धारण-पोषण करने वाला और भूतों को उत्पन्न करने वाला भी मेरा आत्मा वास्तव में भूतों में स्थित नहीं है॥5॥
-: English Meaning :-
Nor do those beings dwell in Me; behold My Divine Yoga! Sustaining all the beings, but not dwelling in them, is My Self, the cause of beings.
गीता नवां अध्याय श्लोक – ६
यथाकाशस्थितो नित्यं वायुः सर्वत्रगो महान् ।
तथा सर्वाणि भूतानि मत्स्थानीत्युपधारय ॥९-६॥
-: हिंदी भावार्थ :-
जैसे आकाश से उत्पन्न सर्वत्र विचरने वाला महान् वायु सदा आकाश में ही स्थित है, वैसे ही मेरे संकल्प द्वारा उत्पन्न होने से संपूर्ण भूत मुझमें स्थित हैं, ऐसा जान॥6॥
-: English Meaning :-
As the mighty wind moving everywhere rests ever in the Akasa, so, know thou, do all beings, rest in Me.
गीता नवां अध्याय श्लोक – ७
सर्वभूतानि कौन्तेय प्रकृतिं यान्ति मामिकाम् ।
कल्पक्षये पुनस्तानि कल्पादौ विसृजाम्यहम् ॥९-७॥
-: हिंदी भावार्थ :-
हे अर्जुन! कल्पों के अन्त में सब भूत मेरी प्रकृति को प्राप्त होते हैं अर्थात् प्रकृति में लीन होते हैं और कल्पों के आदि में उनको मैं फिर रचता हूँ॥7॥
-: English Meaning :-
All beings, O son of Kunti, go into My Prakriti at the end of a kalpa. I send them forth again at the beginning of (the next) kalpa.
गीता नवां अध्याय श्लोक – ८
प्रकृतिं स्वामवष्टभ्य विसृजामि पुनः पुनः ।
भूतग्राममिमं कृत्स्नम वशं प्रकृतेर्वशात् ॥९-८॥
-: हिंदी भावार्थ :-
अपनी प्रकृति को अंगीकार करके स्वभाव के बल से परतंत्र हुए इस संपूर्ण भूतसमुदाय को बार-बार उनके कर्मों के अनुसार रचता हूँ॥8॥
-: English Meaning :-
Resorting to My Prakriti, I again and again send forth the whole multitude of beings, powerless under the control of the Prakriti.
गीता नवां अध्याय श्लोक – ९
न च मां तानि कर्माणि निबध्नन्ति धनंजय ।
उदासीनवदासीनमसक्तं तेषु कर्मसु ॥९-९॥
-: हिंदी भावार्थ :-
हे अर्जुन! उन कर्मों में आसक्तिरहित और उदासीन के सदृश (जिसके संपूर्ण कार्य कर्तृत्व भाव के बिना अपने आप सत्ता मात्र ही होते हैं उसका नाम ‘उदासीन के सदृश’ है।) स्थित मुझ परमात्मा को वे कर्म नहीं बाँधते॥9॥
-: English Meaning :-
Nor do these acts, O Dhananjaya, bind Me, remaining like one unconcerned, unattached to those acts.
गीता नवां अध्याय श्लोक – १०
मयाध्यक्षेण प्रकृतिः सूयते सचराचरम् ।
हेतुनानेन कौन्तेय जगद्विपरिवर्तते ॥९-१०॥
-: हिंदी भावार्थ :-
हे अर्जुन! मुझ अधिष्ठाता के सकाश से प्रकृति चराचर सहित सर्वजगत को रचती है और इस हेतु से ही यह संसारचक्र घूम रहा है॥10॥
-: English Meaning :-
By Me presiding, Prakriti produces the moving and the unmoving; because of this, O son of Kunti, the world revolves.
गीता नवां अध्याय श्लोक – ११
अवजानन्ति मां मूढा मानुषीं तनुमाश्रितम् ।
परं भावमजानन्तो मम भूतमहेश्वरम् ॥९-११॥
-: हिंदी भावार्थ :-
मेरे परमभाव को न जानने वाले मूढ़ लोग मनुष्य का शरीर धारण करने वाले मुझ संपूर्ण भूतों के महान् ईश्वर को तुच्छ समझते हैं अर्थात् अपनी योग माया से संसार के उद्धार के लिए मनुष्य रूप में विचरते हुए मुझ परमेश्वर को साधारण मनुष्य मानते हैं॥11॥
-: English Meaning :-
Fools disregard Me clad in human form, not knowing My higher being as the Great Lord of beings.
गीता नवां अध्याय श्लोक – १२
मोघाशा मोघकर्माणो मोघज्ञाना विचेतसः ।
राक्षसीमासुरीं चैव प्रकृतिं मोहिनीं श्रिताः ॥९-१२॥
-: हिंदी भावार्थ :-
वे व्यर्थ आशा, व्यर्थ कर्म और व्यर्थ ज्ञान वाले विक्षिप्तचित्त अज्ञानीजन राक्षसी, आसुरी और मोहिनी प्रकृति को ही धारण किए रहते हैं॥12॥
-: English Meaning :-
Of vain hopes, of vain actions, of vain knowledge, devoid of discrimination, partaking only of the delusive nature of Rakshasas and Asuras.
गीता नवां अध्याय श्लोक – १३
महात्मानस्तु मां पार्थ दैवीं प्रकृतिमाश्रिताः ।
भजन्त्यनन्यमनसो ज्ञात्वा भूतादिमव्ययम् ॥९-१३॥
-: हिंदी भावार्थ :-
परंतु हे कुन्तीपुत्र! दैवी प्रकृति के आश्रित महात्माजन मुझको सब भूतों का सनातन कारण और नाशरहित अक्षरस्वरूप जानकर अनन्य मन से युक्त होकर निरंतर भजते हैं॥13॥
-: English Meaning :-
The Mahatmas, O son of Pritha, partaking of the nature of the Devas, worship Me with mind turned to no other, knowing (Me) as the imperishable source of all beings.
गीता नवां अध्याय श्लोक – १४
सततं कीर्तयन्तो मां यतन्तश्च दृढव्रताः ।
नमस्यन्तश्च मां भक्त्या नित्ययुक्ता उपासते ॥९-१४॥
-: हिंदी भावार्थ :-
वे दृढ़ निश्चय वाले भक्तजन निरंतर मेरे नाम और गुणों का कीर्तन करते हुए तथा मेरी प्राप्ति के लिए यत्न करते हुए और मुझको बार-बार प्रणाम करते हुए सदा मेरे ध्यान में युक्त होकर अनन्य प्रेम से मेरी उपासना करते हैं॥14॥
-: English Meaning :-
Always talking of me, strenuous, firm in vows and reverent, they worship Me with love, always devout.
गीता नवां अध्याय श्लोक – १५
ज्ञानयज्ञेन चाप्यन्ये यजन्तो मामुपासते ।
एकत्वेन पृथक्त्वेन बहुधा विश्वतोमुखम् ॥९-१५॥
-: हिंदी भावार्थ :-
दूसरे ज्ञानयोगी मुझ निर्गुण-निराकार ब्रह्म का ज्ञानयज्ञ द्वारा अभिन्नभाव से पूजन करते हुए भी मेरी उपासना करते हैं और दूसरे मनुष्य बहुत प्रकार से स्थित मुझ विराट स्वरूप परमेश्वर की पृथक भाव से उपासना करते हैं।।15।।
-: English Meaning :-
Worshipping by the wisdom-sacrifice, others adore Me, the All-faced, in various ways, as One, as different.
गीता नवां अध्याय श्लोक – १६
अहं क्रतुरहं यज्ञः स्वधाहमहमौषधम् ।
मन्त्रोऽहमहमेवाज्यम हमग्निरहं हुतम् ॥९-१६॥
-: हिंदी भावार्थ :-
क्रतु मैं हूँ, यज्ञ मैं हूँ, स्वधा मैं हूँ, औषधि मैं हूँ, मंत्र मैं हूँ, घृत मैं हूँ, अग्नि मैं हूँ और हवनरूप क्रिया भी मैं ही हूँ॥16॥
-: English Meaning :-
I am kratu, I am yajna, I am svadha, I am aushadha, I am mantra, Myself the butter, I am fire, I the act of offering.
गीता नवां अध्याय श्लोक – १७
पिताहमस्य जगतो माता धाता पितामहः ।
वेद्यं पवित्रमोंकार ऋक्साम यजुरेव च ॥९-१७॥
-: हिंदी भावार्थ :-
इस संपूर्ण जगत् का धाता अर्थात् धारण करने वाला एवं कर्मों के फल को देने वाला, पिता, माता, पितामह, जानने योग्य, (गीता अध्याय 13 श्लोक 12 से 17 तक में देखना चाहिए) पवित्र ओंकार तथा ऋग्वेद, सामवेद और यजुर्वेद भी मैं ही हूँ॥17॥
-: English Meaning :-
I am the father of this world, the mother, the dispenser and grandshire; I am the knowable, the purifier, the syllable ‘Om’ and also the Rik, the Saman and the Yajus also.