गीता सातवाँ अध्याय श्लोक – १६
चतुर्विधा भजन्ते मां जनाः सुकृतिनोऽर्जुन ।
आर्तो जिज्ञासुरर्थार्थी ज्ञानी च भरतर्षभ ॥७-१६॥
-: हिंदी भावार्थ :-
हे भरतवंशियों में श्रेष्ठ अर्जुन! उत्तम कर्म करने वाले अर्थार्थी (सांसारिक पदार्थों के लिए भजने वाला), आर्त (संकटनिवारण के लिए भजने वाला) जिज्ञासु (मेरे को यथार्थ रूप से जानने की इच्छा से भजने वाला) और ज्ञानी- ऐसे चार प्रकार के भक्तजन मुझको भजते हैं॥16॥
-: English Meaning :-
Four kinds of virtuous men worship Me, O Arjuna – the distressed, the seeker of knowledge, the seeker of wealth and the wise man, O lord of the Bharatas.
गीता सातवाँ अध्याय श्लोक – १७
तेषां ज्ञानी नित्ययुक्त एकभक्तिर्विशिष्यते ।
प्रियो हि ज्ञानिनोऽत्यर्थमहं स च मम प्रियः ॥७-१७॥
-: हिंदी भावार्थ :-
उनमें नित्य मुझमें एकीभाव से स्थित अनन्य प्रेमभक्ति वाला ज्ञानी भक्त अति उत्तम है क्योंकि मुझको तत्व से जानने वाले ज्ञानी को मैं अत्यन्त प्रिय हूँ और वह ज्ञानी मुझे अत्यन्त प्रिय है॥17॥
-: English Meaning :-
Of them the wise man, ever steadfast and devoted to the One, excels; for, excessively dear am I to the wise and he is dear to Me.
गीता सातवाँ अध्याय श्लोक – १८
उदाराः सर्व एवैते ज्ञानी त्वात्मैव मे मतम् ।
आस्थितः स हि युक्तात्मा मामेवानुत्तमां गतिम् ॥७-१८॥
-: हिंदी भावार्थ :-
ये सभी उदार हैं, परन्तु ज्ञानी तो साक्षात् मेरा स्वरूप ही है- ऐसा मेरा मत है क्योंकि वह मद्गत मन-बुद्धिवाला ज्ञानी भक्त अति उत्तम गतिस्वरूप मुझमें ही अच्छी प्रकार स्थित है॥18॥
-: English Meaning :-
Noble indeed are all these; but the wise man, I deem, is the very Self; for, steadfast in mind, he resorts to Me alone as the unsurpassed goal.
गीता सातवाँ अध्याय श्लोक – १९
बहूनां जन्मनामन्ते ज्ञानवान्मां प्रपद्यते ।
वासुदेवः सर्वमिति स महात्मा सुदुर्लभः ॥७-१९॥
-: हिंदी भावार्थ :-
बहुत जन्मों के अंत के जन्म में तत्व ज्ञान को प्राप्त पुरुष, सब कुछ वासुदेव ही हैं- इस प्रकार मुझको भजता है, वह महात्मा अत्यन्त दुर्लभ है॥19॥
-: English Meaning :-
At the end of many births, the man of wisdom comes to me, (realizing) that Vasudeva is the all: he is the noble-soul (Mahatman), very hard to find.
गीता सातवाँ अध्याय श्लोक – २०
कामैस्तैस्तैर्हृतज्ञानाः प्रपद्यन्तेऽन्यदेवताः ।
तं तं नियममास्थाय प्रकृत्या नियताः स्वया ॥७-२०॥
-: हिंदी भावार्थ :-
उन-उन भोगों की कामना द्वारा जिनका ज्ञान हरा जा चुका है, वे लोग अपने स्वभाव से प्रेरित होकर उस-उस नियम को धारण करके अन्य देवताओं को भजते हैं अर्थात पूजते हैं॥20॥
-: English Meaning :-
Those whose wisdom has been led away by this or that desire resort to other Gods, engaged in this or that rite, constrained by their own nature.
गीता सातवाँ अध्याय श्लोक – २१
यो यो यां यां तनुं भक्तः श्रद्धयार्चितुमिच्छति ।
तस्य तस्याचलां श्रद्धां तामेव विदधाम्यहम् ॥७-२१॥
-: हिंदी भावार्थ :-
जो-जो सकाम भक्त जिस-जिस देवता के स्वरूप को श्रद्धा से पूजना चाहता है, उस-उस भक्त की श्रद्धा को मैं उसी देवता के प्रति स्थिर करता हूँ॥21॥
-: English Meaning :-
Whatever devotee seeks to worship with faith what form so ever, that same faith of his I make unflinching.
गीता सातवाँ अध्याय श्लोक – २२
स तया श्रद्धया युक्तस्तस्याराधनमीहते ।
लभते च ततः कामान्मयैव विहितान्हि तान् ॥७-२२॥
-: हिंदी भावार्थ :-
वह पुरुष उस श्रद्धा से युक्त होकर उस देवता का पूजन करता है और उस देवता से मेरे द्वारा ही विधान किए हुए उन इच्छित भोगों को निःसंदेह प्राप्त करता है॥22॥
-: English Meaning :-
Possessed of that faith he engages in the worship of that (form); thence he obtains his desires, these being indeed ordained by me.
गीता सातवाँ अध्याय श्लोक – २३
अन्तवत्तु फलं तेषां तद्भवत्यल्पमेधसाम् ।
देवान्देवयजो यान्ति मद्भक्ता यान्ति मामपि ॥७-२३॥
-: हिंदी भावार्थ :-
परन्तु उन अल्प बुद्धिवालों का वह फल नाशवान है तथा वे देवताओं को पूजने वाले देवताओं को प्राप्त होते हैं और मेरे भक्त चाहे जैसे ही भजें, अन्त में वे मुझको ही प्राप्त होते हैं॥23॥
-: English Meaning :-
That result indeed is finite, (which accrues) to those men of small intellect. Worshippers of Gods (Devatas) go to Gods (Devatas); My devotees come unto Me.
गीता सातवाँ अध्याय श्लोक – २४
अव्यक्तं व्यक्तिमापन्नं मन्यन्ते मामबुद्धयः ।
परं भावमजानन्तो ममाव्ययमनुत्तमम् ॥७-२४॥
-: हिंदी भावार्थ :-
बुद्धिहीन पुरुष मेरे अनुत्तम अविनाशी परम भाव को न जानते हुए मन-इन्द्रियों से परे मुझ सच्चिदानन्दघन परमात्मा को मनुष्य की भाँति जन्मकर व्यक्ति भाव को प्राप्त हुआ मानते हैं॥24॥
-: English Meaning :-
The foolish regard me as the un-manifested coming in manifestation, knowing not My higher, immutable, unsurpassed nature.
गीता सातवाँ अध्याय श्लोक – २५
नाहं प्रकाशः सर्वस्य योगमायासमावृतः ।
मूढोऽयं नाभिजानाति लोको मामजमव्ययम् ॥७-२५॥
-: हिंदी भावार्थ :-
अपनी योगमाया से छिपा हुआ मैं सबके प्रत्यक्ष नहीं होता, इसलिए यह अज्ञानी जनसमुदाय मुझ जन्मरहित अविनाशी परमेश्वर को नहीं जानता अर्थात मुझको जन्मने-मरने वाला समझता है॥25॥
-: English Meaning :-
I am not manifest to all, veiled (as I am) by Yoga-Maya. This deluded world knows not Me, unborn and imperishable.
गीता सातवाँ अध्याय श्लोक – २६
वेदाहं समतीतानि वर्तमानानि चार्जुन ।
भविष्याणि च भूतानि मां तु वेद न कश्चन ॥७-२६॥
-: हिंदी भावार्थ :-
हे अर्जुन! पूर्व में व्यतीत हुए और वर्तमान में स्थित तथा आगे होने वाले सब भूतों को मैं जानता हूँ, परन्तु मुझको कोई भी श्रद्धा-भक्तिरहित पुरुष नहीं जानता॥26॥
-: English Meaning :-
I know, O Arjuna, the past and the present and the future beings, but Me nobody knows.
गीता सातवाँ अध्याय श्लोक – २७
इच्छाद्वेषसमुत्थेन द्वन्द्वमोहेन भारत ।
सर्वभूतानि संमोहं सर्गे यान्ति परन्तप ॥७-२७॥
-: हिंदी भावार्थ :-
हे भरतवंशी अर्जुन! संसार में इच्छा और द्वेष से उत्पन्न सुख-दुःखादि द्वंद्वरूप मोह से सम्पूर्ण प्राणी अत्यन्त अज्ञता को प्राप्त हो रहे हैं॥27॥
-: English Meaning :-
From the delusion of pairs caused by desires and aversion, O Bharata, all beings are subject to illusion at birth, O harasser of thy foes.
गीता सातवाँ अध्याय श्लोक – २८
येषां त्वन्तगतं पापं जनानां पुण्यकर्मणाम् ।
ते द्वन्द्वमोहनिर्मुक्ता भजन्ते मां दृढव्रताः ॥७-२८॥
-: हिंदी भावार्थ :-
परन्तु निष्काम भाव से श्रेष्ठ कर्मों का आचरण करने वाले जिन पुरुषों का पाप नष्ट हो गया है, वे राग-द्वेषजनित द्वन्द्व रूप मोह से मुक्त दृढ़निश्चयी भक्त मुझको सब प्रकार से भजते हैं॥28॥
-: English Meaning :-
Those mortals of pure deeds whose sin has come to an end, who are freed from the delusion of pairs, they worship Me with a firm resolve.
गीता सातवाँ अध्याय श्लोक – २९
जरामरणमोक्षाय मामाश्रित्य यतन्ति ये ।
ते ब्रह्म तद्विदुः कृत्स्नमध्यात्मं कर्म चाखिलम् ॥७-२९॥
-: हिंदी भावार्थ :-
जो मेरे शरण होकर जरा और मरण से छूटने के लिए यत्न करते हैं, वे पुरुष उस ब्रह्म को, सम्पूर्ण अध्यात्म को, सम्पूर्ण कर्म को जानते हैं॥29॥
-: English Meaning :-
Whoever resorting to Me strive for liberation from decay and death, they realise in full that Brahman, the individual Self and all action.
गीता सातवाँ अध्याय श्लोक – ३०
साधिभूताधिदैवं मां साधियज्ञं च ये विदुः ।
प्रयाणकालेऽपि च मां ते विदुर्युक्तचेतसः ॥७-३०॥
-: हिंदी भावार्थ :-
जो पुरुष अधिभूत और अधिदैव सहित तथा अधियज्ञ सहित (सबका आत्मरूप) मुझे अन्तकाल में भी जानते हैं, वे युक्तचित्तवाले पुरुष मुझे जानते हैं अर्थात प्राप्त हो जाते हैं॥30॥
-: English Meaning :-
Those who realize Me in the Adhibhuta (physical region), in the Adhidaiva (the divine region) and in the Adhiyajna (region of Sacrifice), realize Me even at the time of departure, steadfast in mind.
गीता सातवाँ अध्याय समाप्त
ॐ तत्सदिति श्रीमद्भगवद्गीतासूपनिषत्सु ब्रह्मविद्यायां योगशास्त्रे श्रीकृष्णार्जुनसंवादे ज्ञानविज्ञानयोगो नाम सप्तमोऽध्यायः ॥ ७ ॥
-: हिंदी भावार्थ :-
ॐ तत् सत् ! इस प्रकार ब्रह्मविद्या का योग करवाने वाले शास्त्र, श्रीमद्भगवद्गीता रूपी उपनिषत् में श्रीकृष्ण और अर्जुन के संवाद रूपी ज्ञान विज्ञान योग नाम वाला सातवाँ अध्याय सम्पूर्ण हुआ॥
-: English Meaning :-
Om That is Truth! This completes the fifth chapter of Srimadbhagwad Gita, an Upanishat to unify one with Lord. This seventh chapter depicts the conversation between Sri Krishna and Arjun, and is named as “Knowledge and Science of Yoga”.
Amazing and absolutely true translation .🙏🙏🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌹🌹
achha lga padh kr phli baar pdha h
jai shree karishan
radhe radhe
Sahi translation ki gayi.nice one
Sahi translation ki gayi.nice one🙏🏻🙏🏻🚩 jai shree Krishna 🙏🏻🙏🏻