गीता द्वितीय अध्याय अर्थ सहित Bhagavad Gita Chapter – 2 with Hindi and English Translation

गीता द्वितीय अध्याय श्लोक – १८

अन्तवन्त इमे देहा नित्यस्योक्ताः शरीरिणः।
अनाशिनोऽप्रमेयस्य तस्माद्युध्यस्व भारत॥२-१८॥

-: हिंदी भावार्थ :-

इस नाशरहित, अप्रमेय, नित्यस्वरूप जीवात्मा के ये सब शरीर नाशवान कहे गए हैं, इसलिए हे भरतवंशी अर्जुन! तुम युद्ध करो॥18॥

-: English Meaning :-

All these bodies of imperishable, unprovable and eternal self are said to be perishable. So, O descendant of Bharata! you fight.॥18॥


गीता द्वितीय अध्याय श्लोक -१९

य एनं वेत्ति हन्तारं यश्चैनं मन्यते हतम्‌।
उभौ तौ न विजानीतो नायं हन्ति न हन्यते॥२-१९॥

-: हिंदी भावार्थ :-

जो इस आत्मा को मारने वाला समझता है और जो इसको मरा हुआ मानता है, वे दोनों ही नहीं जानते क्योंकि यह आत्मा वास्तव में न तो किसी को मारता है और न किसी द्वारा मारा ही जाता है॥19॥

-: English Meaning :-

Who thinks of this Self as killer and who thinks of this Self as being killed, both these do not know correctly because it(Self) neither kills, nor is killed.॥19॥


गीता द्वितीय अध्याय श्लोक – २०

न जायते म्रियते वा कदाचि न्नायं भूत्वा भविता वा न भूयः।
अजो नित्यः शाश्वतोऽयं पुराणो न हन्यते हन्यमाने शरीरे॥२-२०॥

-: हिंदी भावार्थ :-

यह आत्मा किसी काल में भी न तो जन्मता है और न मरता ही है तथा न यह उत्पन्न होकर फिर न होने वाला ही है क्योंकि यह अजन्मा, नित्य, सनातन और पुरातन है, शरीर के मारे जाने पर भी यह मारा नहीं जाता॥20॥

-: English Meaning :-

Neither it(Self) is ever born, nor it ever dies. And neither it comes in existence and ceases to exist later. nor the reverse. Because this Self is unborn, eternal, unchangeable and primeval which is not killed even when the body is destroyed.॥20॥


गीता द्वितीय अध्याय श्लोक – २१

वेदाविनाशिनं नित्यं य एनमजमव्ययम्‌।
कथं स पुरुषः पार्थ कं घातयति हन्ति कम्‌॥२-२१॥

-: हिंदी भावार्थ :-

हे पृथापुत्र अर्जुन! जो पुरुष इस आत्मा को नाशरहित, नित्य, अजन्मा और अव्यय जानता है, वह पुरुष कैसे किसी को मारता या मरवाता है?॥21॥

-: English Meaning :-

O son of Prutha! who knows this Self as indestructible, eternal, unborn and inexhaustible, how can he kills anybody himself or by others?॥21॥


गीता द्वितीय अध्याय श्लोक – २२

वासांसि जीर्णानि यथा विहाय नवानि गृह्णाति नरोऽपराणि।
तथा शरीराणि विहाय जीर्णा न्यन्यानि संयाति नवानि देही॥२-२२॥

-: हिंदी भावार्थ :-

जैसे मनुष्य पुराने वस्त्रों को त्यागकर दूसरे नए वस्त्रों को धारण करता है, वैसे ही जीवात्मा पुराने शरीरों को त्यागकर दूसरे नए शरीरों को प्राप्त होता है॥22॥

-: English Meaning :-

As a man leaves old clothes and puts on new ones, so the embodied (jiva) leaves old bodies and enters new.॥22॥


गीता द्वितीय अध्याय श्लोक – २३

नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः।
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः॥२-२३॥

-: हिंदी भावार्थ :-

इस आत्मा को शस्त्र नहीं काट सकते, आग इसको जला नहीं सकती, जल इसको गला नहीं सकता और वायु इसको सुखा नहीं सकती॥23॥

-: English Meaning :-

This Self cannot be cut by weapons, cannot be burnt by fire, cannot be wet by water and cannot be dried by wind.॥23॥


गीता द्वितीय अध्याय श्लोक – २४

अच्छेद्योऽयमदाह्योऽयम क्लेद्योऽशोष्य एव च।
नित्यः सर्वगतः स्थाणुरचलोऽयं सनातनः ॥२-२४॥

-: हिंदी भावार्थ :-

यह आत्मा अच्छेद्य है, यह आत्मा अदाह्य, अक्लेद्य और निःसंदेह अशोष्य है। यह आत्मा नित्य, सर्वव्यापी, अचल, स्थिर और सनातन है॥24॥

-: English Meaning :-

This Self is impermeable, incombustible, un-dissolvable and definitely undryable. This Self is ever-lasting, all-pervading, immovable, still and eternal.॥24॥


गीता द्वितीय अध्याय श्लोक – २५

अव्यक्तोऽयमचिन्त्योऽयम विकार्योऽयमुच्यते।
तस्मादेवं विदित्वैनं नानुशोचितुमर्हसि॥२-२५॥

-: हिंदी भावार्थ :-

यह आत्मा अव्यक्त है, यह आत्मा अचिन्त्य है और यह आत्मा विकाररहित कहा जाता है। इसलिए हे अर्जुन! इस आत्मा को इस प्रकार से जानकर तुम्हारे लिए शोक उचित नहीं है॥25॥

-: English Meaning :-

This Self is un-manifest (imperceptible), this is inconceivable and it is said to be changeless. So O Arjun! Knowing this Self to be such, you should not grieve.॥25॥


गीता द्वितीय अध्याय श्लोक – २६

अथ चैनं नित्यजातं नित्यं वा मन्यसे मृतम्‌।
तथापि त्वं महाबाहो नैवं शोचितुमर्हसि॥२-२६॥

-: हिंदी भावार्थ :-

किन्तु यदि तुम इस आत्मा को सदा जन्मने वाला तथा सदा मरने वाला भी मानो, तो भी हे महाबाहो! तुम्हें इस प्रकार शोक नहीं करना चाहिए॥26॥

-: English Meaning :-

But even if you consider this Self as always taking birth and getting died, even then, O mighty-armed, you should not grieve like this.॥26॥


गीता द्वितीय अध्याय श्लोक – २७

जातस्त हि ध्रुवो मृत्युर्ध्रुवं जन्म मृतस्य च।
तस्मादपरिहार्येऽर्थे न त्वं शोचितुमर्हसि॥२-२७॥

-: हिंदी भावार्थ :-

क्योंकि जन्मने(पैदा होने) वाले की मृत्यु निश्चित है और मरने वाले का जन्म भी निश्चित है। इसलिए इस अनिवार्य(अवश्यम्भावी) विषय में तुम शोक करने योग्य नहीं हो॥27॥

-: English Meaning :-

Because one who has taken birth has to definitely die and one who has died, has to necessarily born again. Therefore, about this unavoidable (inevitable) nature of things, you should not grieve.॥27॥


गीता द्वितीय अध्याय श्लोक – २८

अव्यक्तादीनि भूतानि व्यक्तमध्यानि भारत।
अव्यक्तनिधनान्येव तत्र का परिदेवना॥२-२८॥

-: हिंदी भावार्थ :-

हे अर्जुन! सम्पूर्ण प्राणी जन्म से पहले अप्रकट थे और मरने के बाद भी अप्रकट हो जाने वाले हैं, केवल बीच में ही प्रकट हैं, फिर इस स्थिति में क्या शोक करना?॥28॥

-: English Meaning :-

O Bharat! All the beings were unmanifest (invisible) before their birth, will be invisible again after their death. Only in the middle they are manifest (visible)seen, then why should you lament on it?॥28॥


गीता द्वितीय अध्याय श्लोक – २९

आश्चर्यवत्पश्यति कश्चिदेन माश्चर्यवद्वदति तथैव चान्यः।
आश्चर्यवच्चैनमन्यः श्रृणोति श्रुत्वाप्येनं वेद न चैव कश्चित्‌॥२-२९॥

-: हिंदी भावार्थ :-

कोई एक(आत्मदर्शी) ही इस आत्मा को आश्चर्य की भाँति देखता है और वैसे ही कोई दूसरा(आत्मज्ञ) ही इसके तत्व का आश्चर्य की भाँति वर्णन करता है तथा अन्य कोई(अधिकारी) ही इसे आश्चर्य की भाँति सुनता है और कोई तो सुनकर भी इसे नहीं जानता॥29॥

-: English Meaning :-

One (seer of self) sees Self as if a wonder; and so also another (knower of self) describe it as if a wonder. Another (deserving) hears of it as a wonder; and still other even on hearing does not know it.॥29॥


गीता द्वितीय अध्याय श्लोक – ३०

देही नित्यमवध्योऽयं देहे सर्वस्य भारत।
तस्मात्सर्वाणि भूतानि न त्वं शोचितुमर्हसि॥२-३०॥

-: हिंदी भावार्थ :-

हे अर्जुन! सबके शरीर में स्थित यह आत्मा सदा ही अवध्य (जिसका वध नहीं किया जा सके) है। इसलिए तुम्हें किसी भी प्राणी के लिए शोक नहीं करना चाहिए॥30॥

-: English Meaning :-

O descendant of Bharat! Present in the bodies of all, this Self can never be killed. So you should not grieve about any creature.॥30॥


गीता द्वितीय अध्याय श्लोक – ३१

स्वधर्ममपि चावेक्ष्य न विकम्पितुमर्हसि।
धर्म्याद्धि युद्धाच्छ्रेयोऽन्यत् क्षत्रियस्य न विद्यते॥२-३१॥

-: हिंदी भावार्थ :-

और अपने धर्म को देखकर भी तुम भय करने योग्य नहीं हो क्योंकि क्षत्रिय के लिए धर्मयुक्त युद्ध से बढ़कर कोई दूसरा कल्याणकारी कर्तव्य नहीं है॥31॥

-: English Meaning :-

And on observing your duty also, you should not waver(fear). Because for warrior-clan, there is nothing more auspicious than a lawful battle.॥31॥


गीता द्वितीय अध्याय श्लोक – ३२

यदृच्छया चोपपन्नां स्वर्गद्वारमपावृतम्‌।
सुखिनः क्षत्रियाः पार्थ लभन्ते युद्धमीदृशम्‌॥२-३२॥

-: हिंदी भावार्थ :-

हे पार्थ! अपने-आप प्राप्त हुए और खुले हुए स्वर्ग के द्वार-रूप इस प्रकार के युद्ध को भाग्यवान क्षत्रिय ही पाते हैं॥32॥

-: English Meaning :-

O son of Prutha! Only fortunate warrior -clan, get a chance to fight battle like this, which has come on itself and is an open door to heaven.॥32॥


गीता द्वितीय अध्याय श्लोक – ३३

अथ चेत्त्वमिमं धर्म्यं सङ्‍ग्रामं न करिष्यसि।
ततः स्वधर्मं कीर्तिं च हित्वा पापमवाप्स्यसि॥२-३३॥

-: हिंदी भावार्थ :-

किन्तु यदि तुम इस धर्मयुक्त युद्ध को नहीं करोगे तो स्वधर्म और कीर्ति को खोकर पाप को प्राप्त होगे॥33॥

-: English Meaning :-

But if you do not fight this lawful battle, you shall lose your very duty and fame and incur sin.॥33॥


गीता द्वितीय अध्याय श्लोक – ३४

अकीर्तिं चापि भूतानि कथयिष्यन्ति तेऽव्ययाम्‌।
सम्भावितस्य चाकीर्ति र्मरणादतिरिच्यते॥२-३४॥

-: हिंदी भावार्थ :-

और सब लोग तुम्हारी बहुत समय तक रहने वाली अकीर्ति की भी चर्चा करेंगे और प्रतिष्ठित व्यक्ति के लिए अकीर्ति मरण से भी बढ़कर है॥34॥

-: English Meaning :-

And these people will talk about your infamy for a very long time; and for distinguished person like you, dishonor is worse than death.॥34॥


गीता द्वितीय अध्याय श्लोक – ३५

भयाद्रणादुपरतं मंस्यन्ते त्वां महारथाः।
येषां च त्वं बहुमतो भूत्वा यास्यसि लाघवम्‌॥२-३५॥

-: हिंदी भावार्थ :-

और जिनकी दृष्टि में तुम बहुत सम्मानित हो, अब(उनके मत में) तुच्छ्ता को प्राप्त होगे, वे महारथी लोग तुम्हें भय के कारण युद्ध से हटा हुआ मानेंगे॥35॥

-: English Meaning :-

Those great warriors who think of you highly, will now consider you as an insignificant warrior and assume that you have withdrawn from the battle due to fear.॥35॥


गीता द्वितीय अध्याय श्लोक – ३६

अवाच्यवादांश्च बहून्‌ वदिष्यन्ति तवाहिताः।
निन्दन्तस्तव सामर्थ्यं ततो दुःखतरं नु किम्‌॥२-३६॥

-: हिंदी भावार्थ :-

शत्रु-गण तुम्हारे सामर्थ्य की निंदा करते हुए तुम्हें बहुत से न कहने योग्य वचन भी कहेंगे, उससे अधिक दुःखदायक और क्या होगा?॥36॥

-: English Meaning :-

Your enemies will say insulting (derogatory) words condemning your ability. What is more painful than that?॥36॥


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