गीता अठारहवाँ अध्याय श्लोक –
स्वभावजेन कौन्तेय निबद्धः स्वेन कर्मणा ।
कर्तुं नेच्छसि यन्मोहात् करिष्यस्यवशोऽपि तत् ॥१८-६०॥
-: हिंदी भावार्थ :-
हे कुन्तीपुत्र! जिस कर्म को तू मोह के कारण करना नहीं चाहता, उसको भी अपने पूर्वकृत स्वाभाविक कर्म से बँधा हुआ परवश होकर करेगा॥60॥
-: English Meaning :-
Bound (as thou art), O son of Kunti, by thy own nature-born act, that which from delusion thou likes not to do, thou shall do, though against thy will.
गीता अठारहवाँ अध्याय श्लोक –
ईश्वरः सर्वभूतानां हृद्देशेऽर्जुन तिष्ठति ।
भ्रामयन्सर्वभूतानि यन्त्रारूढानि मायया ॥१८-६१॥
-: हिंदी भावार्थ :-
हे अर्जुन! शरीर रूप यंत्र में आरूढ़ हुए संपूर्ण प्राणियों को अन्तर्यामी परमेश्वर अपनी माया से उनके कर्मों के अनुसार भ्रमण कराता हुआ सब प्राणियों के हृदय में स्थित है॥61॥
-: English Meaning :-
The Lord dwells in the hearts of all beings, O Arjuna, whirling by Maya all beings (as if) mounted on a machine.
गीता अठारहवाँ अध्याय श्लोक –
तमेव शरणं गच्छ सर्वभावेन भारत ।
तत्प्रसादात्परां शान्तिं स्थानं प्राप्स्यसि शाश्वतम् ॥१८-६२॥
-: हिंदी भावार्थ :-
हे भारत! तू सब प्रकार से उस परमेश्वर की ही शरण में (लज्जा, भय, मान, बड़ाई और आसक्ति को त्यागकर एवं शरीर और संसार में अहंता, ममता से रहित होकर एक परमात्मा को ही परम आश्रय, परम गति और सर्वस्व समझना तथा अनन्य भाव से अतिशय श्रद्धा, भक्ति और प्रेमपूर्वक निरंतर भगवान के नाम, गुण, प्रभाव और स्वरूप का चिंतन करते रहना एवं भगवान का भजन, स्मरण करते हुए ही उनके आज्ञा अनुसार कर्तव्य कर्मों का निःस्वार्थ भाव से केवल परमेश्वर के लिए आचरण करना यह ‘सब प्रकार से परमात्मा के ही शरण’ होना है) जा। उस परमात्मा की कृपा से ही तू परम शांति को तथा सनातन परमधाम को प्राप्त होगा॥62॥
-: English Meaning :-
Fly unto Him for refuge with all thy being. O Bharata; by His Grace shalt thou obtain supreme peace (and) the eternal resting place.
गीता अठारहवाँ अध्याय श्लोक –
इति ते ज्ञानमाख्यातं गुह्याद्गुह्यतरं मया ।
विमृश्यैतदशेषेण यथेच्छसि तथा कुरु ॥१८-६३॥
-: हिंदी भावार्थ :-
इस प्रकार यह गोपनीय से भी अति गोपनीय ज्ञान मैंने तुमसे कह दिया। अब तू इस रहस्ययुक्त ज्ञान को पूर्णतया भलीभाँति विचार कर, जैसे चाहता है वैसे ही कर॥63॥
-: English Meaning :-
Thus has wisdom, more secret than all that is secret, been declared to thee by Me; reflect thou over it all and act as thou pleases.
गीता अठारहवाँ अध्याय श्लोक –
सर्वगुह्यतमं भूयः शृणु मे परमं वचः ।
इष्टोऽसि मे दृढमिति ततो वक्ष्यामि ते हितम् ॥१८-६४॥
-: हिंदी भावार्थ :-
संपूर्ण गोपनीयों से अति गोपनीय मेरे परम रहस्ययुक्त वचन को तू फिर भी सुन। तू मेरा अतिशय प्रिय है, इससे यह परम हितकारक वचन मैं तुझसे कहूँगा॥64॥
-: English Meaning :-
Hear thou again My word supreme, the most secret of all; because thou art My firm friend, therefore will I tell thee what is good.
गीता अठारहवाँ अध्याय श्लोक –
मन्मना भव मद्भक्तो मद्याजी मां नमस्कुरु ।
मामेवैष्यसि सत्यं ते प्रतिजाने प्रियोऽसि मे ॥१८-६५॥
-: हिंदी भावार्थ :-
हे अर्जुन! तू मुझमें मनवाला हो, मेरा भक्त बन, मेरा पूजन करने वाला हो और मुझको प्रणाम कर। ऐसा करने से तू मुझे ही प्राप्त होगा, यह मैं तुझसे सत्य प्रतिज्ञा करता हूँ क्योंकि तू मेरा अत्यंत प्रिय है॥65॥
-: English Meaning :-
Fix thy thought on Me, be devoted to Me, worship Me, do homage to Me. Thou shall reach Myself. The truth do I declare to thee; (for) thou art dear to Me.
गीता अठारहवाँ अध्याय श्लोक –
सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज ।
अहं त्वां सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुचः ॥१८-६६॥
-: हिंदी भावार्थ :-
संपूर्ण धर्मों को अर्थात संपूर्ण कर्तव्य कर्मों को मुझमें त्यागकर तू केवल एक मुझ सर्वशक्तिमान, सर्वाधार परमेश्वर की ही शरण में आ जा। मैं तुझे संपूर्ण पापों से मुक्त कर दूँगा, तू शोक मत कर॥66॥
-: English Meaning :-
Abandoning all righteous deeds, seek me as thy sole refuge; I will liberate thee from all sins; do thou not grieve.
गीता अठारहवाँ अध्याय श्लोक –
इदं ते नातपस्काय नाभक्ताय कदाचन ।
न चाशुश्रूषवे वाच्यं न च मां योऽभ्यसूयति ॥१८-६७॥
-: हिंदी भावार्थ :-
तुझे यह गीत रूप रहस्यमय उपदेश किसी भी काल में न तो तपरहित मनुष्य से कहना चाहिए, न भक्ति-(वेद, शास्त्र और परमेश्वर तथा महात्मा और गुरुजनों में श्रद्धा, प्रेम और पूज्य भाव का नाम ‘भक्ति’ है।)-रहित से और न बिना सुनने की इच्छा वाले से ही कहना चाहिए तथा जो मुझमें दोषदृष्टि रखता है, उससे तो कभी भी नहीं कहना चाहिए॥67॥
-: English Meaning :-
This (which has been taught) to thee is never to be taught to one who is devoid of austerities, nor to one who is not devoted, nor to one who does not do service, nor to one who speaks ill of Me.
गीता अठारहवाँ अध्याय श्लोक –
य इमं परमं गुह्यं मद्भक्तेष्वभिधास्यति ।
भक्तिं मयि परां कृत्वा मामेवैष्यत्यसंशयः ॥१८-६८॥
-: हिंदी भावार्थ :-
जो पुरुष मुझमें परम प्रेम करके इस परम रहस्ययुक्त गीताशास्त्र को मेरे भक्तों में कहेगा, वह मुझको ही प्राप्त होगा- इसमें कोई संदेह नहीं है॥68॥
-: English Meaning :-
He who with supreme devotion to Me will teach this Supreme Secret to My devotees, shall doubtless come to Me.
गीता अठारहवाँ अध्याय श्लोक –
न च तस्मान्मनुष्येषु कश्चिन्मे प्रियकृत्तमः ।
भविता न च मे तस्मा दन्यः प्रियतरो भुवि ॥१८-६९॥
-: हिंदी भावार्थ :-
उससे बढ़कर मेरा प्रिय कार्य करने वाला मनुष्यों में कोई भी नहीं है तथा पृथ्वीभर में उससे बढ़कर मेरा प्रिय दूसरा कोई भविष्य में होगा भी नहीं॥69॥
-: English Meaning :-
Nor is there any among men who does dearer service to Me than he; nor shall there be another on earth dearer to Me than he.
गीता अठारहवाँ अध्याय श्लोक –
अध्येष्यते च य इमं धर्म्यं संवादमावयोः ।
ज्ञानयज्ञेन तेनाहमिष्टः स्यामिति मे मतिः ॥१८-७०॥
-: हिंदी भावार्थ :-
जो पुरुष इस धर्ममय हम दोनों के संवाद रूप गीताशास्त्र को पढ़ेगा, उसके द्वारा भी मैं ज्ञानयज्ञ से पूजित होऊँगा- ऐसा मेरा मत है॥70॥
-: English Meaning :-
And he who will study this sacred dialogue of ours, by him I shall have been worshiped by the sacrifice of wisdom, I deem.
गीता अठारहवाँ अध्याय श्लोक –
श्रद्धावाननसूयश्च शृणुया दपि यो नरः ।
सोऽपि मुक्तः शुभाँल्लोकान् प्राप्नुयात्पुण्यकर्मणाम् ॥१८-७१॥
-: हिंदी भावार्थ :-
जो मनुष्य श्रद्धायुक्त और दोषदृष्टि से रहित होकर इस गीताशास्त्र का श्रवण भी करेगा, वह भी पापों से मुक्त होकर उत्तम कर्म करने वालों के श्रेष्ठ लोकों को प्राप्त होगा॥71॥
-: English Meaning :-
And the man also who hears, full of faith and free from malice even he, liberated, shall attain to the happy worlds of the righteous.
गीता अठारहवाँ अध्याय श्लोक –
कच्चिदेतच्छ्रुतं पार्थ त्वयैकाग्रेण चेतसा ।
कच्चिदज्ञानसंमोहः प्रनष्टस्ते धनंजय ॥१८-७२॥
-: हिंदी भावार्थ :-
हे पार्थ! क्या इस (गीताशास्त्र) को तूने एकाग्रचित्त से श्रवण किया? और हे धनञ्जय! क्या तेरा अज्ञानजनित मोह नष्ट हो गया?॥72॥
-: English Meaning :-
Has it been heard by thee, O Partha, with an attentive mind? Has the delusion of ignorance been destroyed, O Dhananjaya?
गीता अठारहवाँ अध्याय श्लोक –
अर्जुन उवाच
नष्टो मोहः स्मृतिर्लब्धा त्वत्प्रसादान्मयाच्युत ।
स्थितोऽस्मि गतसन्देहः करिष्ये वचनं तव ॥१८-७३॥
-: हिंदी भावार्थ :-
अर्जुन बोले- हे अच्युत! आपकी कृपा से मेरा मोह नष्ट हो गया और मैंने स्मृति प्राप्त कर ली है, अब मैं संशयरहित होकर स्थिर हूँ, अतः आपकी आज्ञा का पालन करूँगा॥73॥
-: English Meaning :-
Arjun says – Destroyed is delusion and I have gained recognition through Thy Grace, O Achyuta. I am firm, with doubts gone. I will do Thy word.
गीता अठारहवाँ अध्याय श्लोक –
सञ्जय उवाच
इत्यहं वासुदेवस्य पार्थस्य च महात्मनः ।
संवादमिममश्रौष मद्भुतं रोमहर्षणम् ॥१८-७४॥
-: हिंदी भावार्थ :-
संजय बोले- इस प्रकार मैंने श्री वासुदेव के और महात्मा अर्जुन के इस अद्भुत रहस्ययुक्त, रोमांचकारक संवाद को सुना॥74॥
-: English Meaning :-
Sanjay says – Thus have I heard this wonderful dialogue between Vasudeva and the high-souled Partha, which makes the hair stand on end.
गीता अठारहवाँ अध्याय श्लोक –
व्यासप्रसादाच्छ्रुत वानेतद्गुह्यमहं परम् ।
योगं योगेश्वरात्कृष्णात् साक्षात्कथयतः स्वयम् ॥१८-७५॥
-: हिंदी भावार्थ :-
श्री व्यासजी की कृपा से दिव्य दृष्टि पाकर मैंने इस परम गोपनीय योग को अर्जुन के प्रति कहते हुए स्वयं योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण से प्रत्यक्ष सुना॥75॥
-: English Meaning :-
Through the grace of Vyasa have I heard this Supreme and most secret Yoga direct from Krishna, the Lord of Yoga, Himself declaring it.
गीता अठारहवाँ अध्याय श्लोक –
राजन्संस्मृत्य संस्मृत्य संवादमिममद्भुतम् ।
केशवार्जुनयोः पुण्यं हृष्यामि च मुहुर्मुहुः ॥१८-७६॥
-: हिंदी भावार्थ :-
हे राजन! भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन के इस रहस्ययुक्त, कल्याणकारक और अद्भुत संवाद को पुनः-पुनः स्मरण करके मैं बार-बार हर्षित हो रहा हूँ॥76॥
-: English Meaning :-
O King, remembering every moment this wonderful and holy dialogue between Kesava and Arjuna, I rejoice again and again.
गीता अठारहवाँ अध्याय श्लोक –
तच्च संस्मृत्य संस्मृत्य रूपमत्यद्भुतं हरेः ।
विस्मयो मे महान् राजन् हृष्यामि च पुनः पुनः ॥१८-७७॥
-: हिंदी भावार्थ :-
हे राजन्! श्रीहरि (जिसका स्मरण करने से पापों का नाश होता है उसका नाम ‘हरि’ है) के उस अत्यंत विलक्षण रूप को भी पुनः-पुनः स्मरण करके मेरे चित्त में महान आश्चर्य होता है और मैं बार-बार हर्षित हो रहा हूँ॥77॥
-: English Meaning :-
And remembering every moment the most wonderful Form of Hari, great is my wonder, O king and I rejoice again and again.
गीता अठारहवाँ अध्याय श्लोक –
यत्र योगेश्वरः कृष्णो यत्र पार्थो धनुर्धरः ।
तत्र श्रीर्विजयो भूतिर्ध्रुवा नीतिर्मतिर्मम ॥१८-७८॥
-: हिंदी भावार्थ :-
हे राजन! जहाँ योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण हैं और जहाँ गाण्डीव-धनुषधारी अर्जुन है, वहीं पर श्री, विजय, विभूति और अचल नीति है- ऐसा मेरा मत है॥78॥
-: English Meaning :-
Wherever is Krishna, the Lord of Yoga, wherever is Arjuna, the archer, there fortune, victory, prosperity and polity are established, I deem.
Excellent interpretation. Thank for your contributions.