गीता सोलहवाँ अध्याय अर्थ सहित Bhagavad Gita Chapter – 16 with Hindi and English Translation

दैवासुर सम्पद्विभागयोगः (दैवासुर-
सम्पद्विभागयोग)

गीता सोलहवाँ अध्याय श्लोक –

श्रीभगवानुवाच अभयं सत्त्वसंशुद्धि र्ज्ञानयोगव्यवस्थितिः ।
दानं दमश्च यज्ञश्च स्वाध्यायस्तप आर्जवम् ॥१६-१॥

-: हिंदी भावार्थ :-

श्री भगवान बोले- भय का सर्वथा अभाव, अन्तःकरण की पूर्ण निर्मलता, तत्त्वज्ञान के लिए ध्यान योग में निरन्तर दृढ़ स्थिति और सात्त्विक दान, इन्द्रियों का दमन, भगवान, देवता और गुरुजनों की पूजा तथा अग्निहोत्र आदि उत्तम कर्मों का आचरण एवं वेद-शास्त्रों का पठन-पाठन तथा भगवान्‌ के नाम और गुणों का कीर्तन, स्वधर्म पालन के लिए कष्टसहन और शरीर तथा इन्द्रियों के सहित अन्तःकरण की सरलता॥1॥

-: English Meaning :-

The Lord says – Fearlessness, purity of heart, steadfastness in knowledge and Yoga; alms-giving, self-restraint and worship, study of one’s own (scriptures), austerity, uprightness;


गीता सोलहवाँ अध्याय श्लोक –

अहिंसा सत्यमक्रोधस् त्यागः शान्तिरपैशुनम् ।
दया भूतेष्वलोलुप्त्वं मार्दवं ह्रीरचापलम् ॥१६-२॥

-: हिंदी भावार्थ :-

मन, वाणी और शरीर से किसी प्रकार भी किसी को कष्ट न देना, यथार्थ और प्रिय भाषण (अन्तःकरण और इन्द्रियों के द्वारा जैसा निश्चय किया हो, वैसे-का-वैसा ही प्रिय शब्दों में कहने का नाम ‘सत्यभाषण’ है), अपना अपकार करने वाले पर भी क्रोध का न होना, कर्मों में कर्तापन के अभिमान का त्याग, अन्तःकरण की उपरति अर्थात्‌ चित्त की चञ्चलता का अभाव, किसी की भी निन्दादि न करना, सब भूतप्राणियों में हेतुरहित दया, इन्द्रियों का विषयों के साथ संयोग होने पर भी उनमें आसक्ति का न होना, कोमलता, लोक और शास्त्र से विरुद्ध आचरण में लज्जा और व्यर्थ चेष्टाओं का अभाव॥2॥

-: English Meaning :-

Harmlessness, truth, absence of anger, renunciation, serenity, absence of calumny, compassion to creatures, un-covetousness, gentleness, modesty, absence of fickleness;


गीता सोलहवाँ अध्याय श्लोक –

तेजः क्षमा धृतिः शौचमद्रोहो नातिमानिता ।
भवन्ति संपदं दैवीम भिजातस्य भारत ॥१६-३॥

-: हिंदी भावार्थ :-

तेज (श्रेष्ठ पुरुषों की उस शक्ति का नाम ‘तेज’ है कि जिसके प्रभाव से उनके सामने विषयासक्त और नीच प्रकृति वाले मनुष्य भी प्रायः अन्यायाचरण से रुककर उनके कथनानुसार श्रेष्ठ कर्मों में प्रवृत्त हो जाते हैं), क्षमा, धैर्य, बाहर की शुद्धि एवं किसी में भी शत्रुभाव का न होना और अपने में पूज्यता के अभिमान का अभाव- ये सब तो हे अर्जुन! दैवी सम्पदा को लेकर उत्पन्न हुए पुरुष के लक्षण हैं॥3॥

-: English Meaning :-

Energy, forgiveness; fortitude, purity, absence of hatred, absence of pride; these belong to one born for a divine lot, O Bharata.


गीता सोलहवाँ अध्याय श्लोक –

दम्भो दर्पोऽभिमानश्च क्रोधः पारुष्यमेव च ।
अज्ञानं चाभिजातस्य पार्थ संपदमासुरीम् ॥१६-४॥

-: हिंदी भावार्थ :-

हे पार्थ! दम्भ, घमण्ड और अभिमान तथा क्रोध, कठोरता और अज्ञान भी- ये सब आसुरी सम्पदा को लेकर उत्पन्न हुए पुरुष के लक्षण हैं॥4॥

-: English Meaning :-

Ostentation, arrogance and self-conceit, anger as also insolence and ignorance, belong to one who is born, O Partha, for a demoniac lot.


गीता सोलहवाँ अध्याय श्लोक –

दैवी संपद्विमोक्षाय निबन्धायासुरी मता ।
मा शुचः संपदं दैवीम भिजातोऽसि पाण्डव ॥१६-५॥

-: हिंदी भावार्थ :-

दैवी सम्पदा मुक्ति के लिए और आसुरी सम्पदा बाँधने के लिए मानी गई है। इसलिए हे अर्जुन! तू शोक मत कर, क्योंकि तू दैवी सम्पदा को लेकर उत्पन्न हुआ है॥5॥

-: English Meaning :-

The divine nature is deemed for liberation, the demoniac for bondage. Grieve not, O Pandava; thou art born for a divine lot.


गीता सोलहवाँ अध्याय श्लोक –

द्वौ भूतसर्गौ लोकेऽ स्मिन्दैव आसुर एव च ।
दैवो विस्तरशः प्रोक्त आसुरं पार्थ मे शृणु ॥१६-६॥

-: हिंदी भावार्थ :-

हे अर्जुन! इस लोक में भूतों की सृष्टि यानी मनुष्य समुदाय दो ही प्रकार का है, एक तो दैवी प्रकृति वाला और दूसरा आसुरी प्रकृति वाला। उनमें से दैवी प्रकृति वाला तो विस्तारपूर्वक कहा गया, अब तू आसुरी प्रकृति वाले मनुष्य समुदाय को भी विस्तारपूर्वक मुझसे सुन॥6॥

-: English Meaning :-

There are two creations of beings in this world, the divine and the demoniac. The divine has been described as length; hear from Me, O Partha, of the demoniac.


गीता सोलहवाँ अध्याय श्लोक –

प्रवृत्तिं च निवृत्तिं च जना न विदुरासुराः ।
न शौचं नापि चाचारो न सत्यं तेषु विद्यते ॥१६-७॥

-: हिंदी भावार्थ :-

आसुर स्वभाव वाले मनुष्य प्रवृत्ति और निवृत्ति- इन दोनों को ही नहीं जानते। इसलिए उनमें न तो बाहर-भीतर की शुद्धि है, न श्रेष्ठ आचरण है और न सत्य भाषण ही है॥7॥

-: English Meaning :-

Neither action nor inaction do the demoniac men know; neither purity nor good conduct nor truth is found in them.


गीता सोलहवाँ अध्याय श्लोक –

असत्यमप्रतिष्ठं ते जगदाहुरनीश्वरम् ।
अपरस्परसंभूतं किमन्यत्कामहैतुकम् ॥१६-८॥

-: हिंदी भावार्थ :-

वे आसुरी प्रकृति वाले मनुष्य कहा करते हैं कि जगत्‌ आश्रयरहित, सर्वथा असत्य और बिना ईश्वर के, अपने-आप केवल स्त्री-पुरुष के संयोग से उत्पन्न है, अतएव केवल काम ही इसका कारण है। इसके सिवा और क्या है?॥8॥

-: English Meaning :-

They say, the universe is unreal, without a basis, without a Lord, born of mutual union, brought about by lust; what else?


गीता सोलहवाँ अध्याय श्लोक –

एतां दृष्टिमवष्टभ्य नष्टात्मानोऽल्पबुद्धयः ।
प्रभवन्त्युग्रकर्माणः क्षयाय जगतोऽहिताः ॥१६-९॥

-: हिंदी भावार्थ :-

इस मिथ्या ज्ञान को अवलम्बन करके- जिनका स्वभाव नष्ट हो गया है तथा जिनकी बुद्धि मन्द है, वे सब अपकार करने वाले क्रुरकर्मी मनुष्य केवल जगत्‌ के नाश के लिए ही समर्थ होते हैं॥9॥

-: English Meaning :-

Holding this view, these ruined souls of small intellect, of fierce deeds, rise as the enemies of the world for its destruction.


गीता सोलहवाँ अध्याय श्लोक –

काममाश्रित्य दुष्पूरं दम्भमानमदान्विताः ।
मोहाद्‌गृहीत्वासद्ग्राहान् प्रवर्तन्तेऽशुचिव्रताः ॥१६-१०॥

-: हिंदी भावार्थ :-

वे दम्भ, मान और मद से युक्त मनुष्य किसी प्रकार भी पूर्ण न होने वाली कामनाओं का आश्रय लेकर, अज्ञान से मिथ्या सिद्धांतों को ग्रहण करके भ्रष्ट आचरणों को धारण करके संसार में विचरते हैं॥10॥

-: English Meaning :-

Filled with insatiable desires, full of hypocrisy, pride and arrogance, holding unwholesome views through delusion, they work with unholy resolve;


गीता सोलहवाँ अध्याय श्लोक –

चिन्तामपरिमेयां च प्रलयान्तामुपाश्रिताः ।
कामोपभोगपरमा एतावदिति निश्चिताः ॥१६-११॥

-: हिंदी भावार्थ :-

तथा वे मृत्युपर्यन्त रहने वाली असंख्य चिन्ताओं का आश्रय लेने वाले, विषयभोगों के भोगने में तत्पर रहने वाले और ‘इतना ही सुख है’ इस प्रकार मानने वाले होते हैं॥11॥

-: English Meaning :-

Beset with immense cares ending only with death, sensual enjoyment their highest aim, assured that that is all;


गीता सोलहवाँ अध्याय श्लोक –

आशापाशशतैर्बद्धाः कामक्रोधपरायणाः ।
ईहन्ते कामभोगार्थमन् यायेनार्थसञ्चयान् ॥१६-१२॥

-: हिंदी भावार्थ :-

वे आशा की सैकड़ों फाँसियों से बँधे हुए मनुष्य काम-क्रोध के परायण होकर विषय भोगों के लिए अन्यायपूर्वक धनादि पदार्थों का संग्रह करने की चेष्टा करते हैं॥12॥

-: English Meaning :-

Bound by hundreds of bands of hope, given over to lust and wrath, they strive to secure by unjust means hoards of wealth for sensual enjoyment.


गीता सोलहवाँ अध्याय श्लोक –

इदमद्य मया लब्धमिमं प्राप्स्ये मनोरथम् ।
इदमस्तीदमपि मे भविष्यति पुनर्धनम् ॥१६-१३॥

-: हिंदी भावार्थ :-

वे सोचा करते हैं कि मैंने आज यह प्राप्त कर लिया है और अब इस मनोरथ को प्राप्त कर लूँगा। मेरे पास यह इतना धन है और फिर भी यह हो जाएगा॥13॥

-: English Meaning :-

This to-day has been gained by me; this desire I shall attain; this is mine and this wealth also shall be mine in future.


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