इस पोस्ट में श्रीमद्भगवत गीता चतुर्थ अध्याय को हिंदी अर्थ और अंग्रेजी अनुवाद के साथ दिया गया है। इस लिंक पे क्लिक करके पढ़िये गीता सातवाँ अध्याय अर्थ सहित।
गीता आठवाँ अध्याय श्लोक – १
अर्जुन उवाच
किं तद्ब्रह्म किमध्यात्मं किं कर्म पुरुषोत्तम ।
अधिभूतं च किं प्रोक्तमधिदैवं किमुच्यते ॥८-१॥
-: हिंदी भावार्थ :-
अर्जुन ने कहा- हे पुरुषोत्तम! वह ब्रह्म क्या है? अध्यात्म क्या है? कर्म क्या है? अधिभूत नाम से क्या कहा गया है और अधिदैव किसको कहते हैं॥1॥
-: English Meaning :-
Arjun says – What is that Brahman? What about the Individual Self (Adhyatma)? What is action (Karma), O Purushottama? And what is declared to be the physical region (Adhibhuta)?
गीता आठवाँ अध्याय श्लोक – २
अधियज्ञः कथं कोऽत्र देहेऽस्मिन्मधुसूदन ।
प्रयाणकाले च कथं ज्ञेयोऽसि नियतात्मभिः ॥८-२॥
-: हिंदी भावार्थ :-
हे मधुसूदन! यहाँ अधियज्ञ कौन है? और वह इस शरीर में कैसे है? तथा युक्त चित्त वाले पुरुषों द्वारा अंत समय में आप किस प्रकार जानने में आते हैं॥2॥
-: English Meaning :-
And what is the divine region (Adhidaiva) said to be? And how and who is Adhiyajna (the Entity concerned with Sacrifice) here in this body, O Madhusudana, and how at the time of death art Thou to be known by the self-controlled?
गीता आठवाँ अध्याय श्लोक – ३
श्रीभगवानुवाच अक्षरं ब्रह्म परमं स्वभावोऽध्यात्ममुच्यते ।
भूतभावोद्भवकरो विसर्गः कर्मसंज्ञितः ॥८-३॥
-: हिंदी भावार्थ :-
श्री भगवान ने कहा- परम अक्षर ‘ब्रह्म’ है, अपना स्वरूप अर्थात जीवात्मा ‘अध्यात्म’ नाम से कहा जाता है तथा भूतों के भाव को उत्पन्न करने वाला जो त्याग है, वह ‘कर्म’ नाम से कहा गया है॥3॥
-: English Meaning :-
The Lord says – Brahman is the Imperishable (Akshara), the Supreme. The Ego is said to be the Individual Self (Adhyatma, He who dwells in the body). The offering which causes the origin of physical beings is called action (Karma).
गीता आठवाँ अध्याय श्लोक – ४
अधिभूतं क्षरो भावः पुरुषश्चाधिदैवतम् ।
अधियज्ञोऽहमेवात्र देहे देहभृतां वर ॥८-४॥
-: हिंदी भावार्थ :-
उत्पत्ति-विनाश धर्म वाले सब पदार्थ अधिभूत हैं, हिरण्यमय पुरुष (जिसको शास्त्रों में सूत्रात्मा, हिरण्यगर्भ, प्रजापति, ब्रह्मा इत्यादि नामों से कहा गया है) अधिदैव है और हे देहधारियों में श्रेष्ठ अर्जुन! इस शरीर में मैं वासुदेव ही अन्तर्यामी रूप से अधियज्ञ हूँ॥4॥
-: English Meaning :-
The physical region (Adhibhuta) is the perishable existence and Purusha or the Soul is the divine region (Adhidaivata). The Adhiyajna (Entity concerned with Sacrifice) is Myself, here in the body, O best of the embodied.
गीता आठवाँ अध्याय श्लोक – ५
अन्तकाले च मामेव स्मरन्मुक्त्वा कलेवरम् ।
यः प्रयाति स मद्भावं याति नास्त्यत्र संशयः ॥८-५॥
-: हिंदी भावार्थ :-
जो पुरुष अंतकाल में भी मुझको ही स्मरण करता हुआ शरीर को त्याग कर जाता है, वह मेरे साक्षात स्वरूप को प्राप्त होता है- इसमें कुछ भी संशय नहीं है॥5॥
-: English Meaning :-
And whoso, at the time of death, thinking of Me alone, leaves the body and goes forth, he reaches My being; there is no doubt in this.
गीता आठवाँ अध्याय श्लोक – ६
यं यं वापि स्मरन्भावं त्यजत्यन्ते कलेवरम् ।
तं तमेवैति कौन्तेय सदा तद्भावभावितः ॥८-६॥
-: हिंदी भावार्थ :-
हे कुन्ती पुत्र अर्जुन! यह मनुष्य अंतकाल में जिस-जिस भी भाव को स्मरण करता हुआ शरीर त्याग करता है, उस-उसको ही प्राप्त होता है क्योंकि वह सदा उसी भाव से भावित रहा है॥6॥
-: English Meaning :-
Of whatever Being thinking at the end a man leaves the body, Him alone, O son of Kunti, reaches he by whom the thought of that Being has been constantly dwelt upon.
गीता आठवाँ अध्याय श्लोक – ७
तस्मात्सर्वेषु कालेषु मामनुस्मर युध्य च ।
मय्यर्पितमनोबुद्धि र्मामेवैष्यस्यसंशयम् ॥८-७॥
-: हिंदी भावार्थ :-
इसलिए हे अर्जुन! तू सब समय में निरंतर मेरा स्मरण कर और युद्ध भी कर। इस प्रकार मुझमें अर्पण किए हुए मन-बुद्धि से युक्त होकर तू निःसंदेह मुझको ही प्राप्त होगा॥7॥
-: English Meaning :-
Therefore at all times do thou meditate on Me and fight; with mind and reason fixed on Me thou shall doubtless come to Me alone.
गीता आठवाँ अध्याय श्लोक – ८
अभ्यासयोगयुक्तेन चेतसा नान्यगामिना ।
परमं पुरुषं दिव्यं याति पार्थानुचिन्तयन् ॥८-८॥
-: हिंदी भावार्थ :-
हे पार्थ! यह नियम है कि परमेश्वर के ध्यान के अभ्यास रूप योग से युक्त, दूसरी ओर न जाने वाले चित्त से निरंतर चिंतन करता हुआ मनुष्य परम प्रकाश रूप दिव्य पुरुष को अर्थात परमेश्वर को ही प्राप्त होता है॥8॥
-: English Meaning :-
Meditating with the mind engaged in the Yoga of constant practice, not passing over to any thing else, one goes to the Supreme Purusha, the Resplendent, O son of Pritha.
गीता आठवाँ अध्याय श्लोक – ९
कविं पुराणमनुशासितार मणोरणीयांसमनुस्मरेद्यः ।
सर्वस्य धातारमचिन्त्यरूप मादित्यवर्णं तमसः परस्तात् ॥८-९॥
-: हिंदी भावार्थ :-
जो पुरुष सर्वज्ञ, अनादि, सबके नियंता (अंतर्यामी रूप से सब प्राणियों के शुभ और अशुभ कर्म के अनुसार शासन करने वाला) सूक्ष्म से भी अति सूक्ष्म, सबके धारण-पोषण करने वाले अचिन्त्य-स्वरूप, सूर्य के सदृश नित्य चेतन प्रकाश रूप और अविद्या से अति परे, शुद्ध सच्चिदानन्दघन परमेश्वर का स्मरण करता है॥9॥
-: English Meaning :-
Whoso meditates on the Sage, the Ancient, the Ruler, smaller than an atom, the Dispenser of all, of unthinkable nature, glorious like the Sun, beyond the darkness, (whoso meditates on such a Being) at the time of death, with a steady mind endued with devotion and strength of Yoga, well fixing the life-breath betwixt the eye-brows, he reaches that Supreme Purusha Resplendent.
गीता आठवाँ अध्याय श्लोक – १०
प्रयाणकाले मनसाचलेन भक्त्या युक्तो योगबलेन चैव ।
भ्रुवोर्मध्ये प्राणमावेश्य सम्यक् स तं परं पुरुषमुपैति दिव्यम् ॥८-१०॥
-: हिंदी भावार्थ :-
वह भक्ति युक्त पुरुष अन्तकाल में भी योगबल से भृकुटी के मध्य में प्राण को अच्छी प्रकार स्थापित करके, फिर निश्चल मन से स्मरण करता हुआ उस दिव्य रूप परम पुरुष परमात्मा को ही प्राप्त होता है॥10॥
-: English Meaning :-
गीता आठवाँ अध्याय श्लोक – ११
यदक्षरं वेदविदो वदन्ति विशन्ति यद्यतयो वीतरागाः ।
यदिच्छन्तो ब्रह्मचर्यं चरन्ति तत्ते पदं संग्रहेण प्रवक्ष्ये ॥८-११॥
-: हिंदी भावार्थ :-
वेद के जानने वाले विद्वान जिस सच्चिदानन्दघनरूप परम पद को अविनाश कहते हैं, आसक्ति रहित यत्नशील संन्यासी महात्माजन, जिसमें प्रवेश करते हैं और जिस परम पद को चाहने वाले ब्रह्मचारी लोग ब्रह्मचर्य का आचरण करते हैं, उस परम पद को मैं तेरे लिए संक्षेप में कहूँगा॥11॥
-: English Meaning :-
That Imperishable Goal which the knowers of the Veda declare, which the self-controlled and the passion-free enter, which desiring they lead the godly life – That Goal will I declare to thee with brevity.
गीता आठवाँ अध्याय श्लोक – १२
सर्वद्वाराणि संयम्य मनो हृदि निरुध्य च ।
मूर्ध्न्याधायात्मनः प्राणमास्थितो योगधारणाम् ॥८-१२॥
-: हिंदी भावार्थ :-
सब इंद्रियों के द्वारों को रोककर तथा मन को हृद्देश में स्थिर करके, फिर उस जीते हुए मन द्वारा प्राण को मस्तक में स्थापित करके, परमात्म संबंधी योगधारणा में स्थित होकर जो पुरुष ‘ॐ’ इस एक अक्षर रूप ब्रह्म को उच्चारण करता हुआ और उसके अर्थस्वरूप मुझ निर्गुण ब्रह्म का चिंतन करता हुआ शरीर को त्यागकर जाता है, वह पुरुष परम गति को प्राप्त होता है॥12-13॥
-: English Meaning :-
Having closed all the gates, having confined mind in the heart, having fixed his life-breath in the head, engaged in firm Yoga, uttering Brahman, the one-syllable ‘Om’, thinking of Me, whoso departs, leaving the body, he reaches the Supreme Goal.
गीता आठवाँ अध्याय श्लोक – १३
ओमित्येकाक्षरं ब्रह्म व्याहरन्मामनुस्मरन् ।
यः प्रयाति त्यजन्देहं स याति परमां गतिम् ॥८-१३॥
-: हिंदी भावार्थ :-
जो पुरुष ओऽम् इस एक अक्षर ब्रह्म का उच्चारण करता हुआ और मेरा स्मरण करता हुआ शरीर का त्याग करता है, वह परम गति को प्राप्त होता है ॥13॥
-: English Meaning :-
Uttering the one-syllabled Om the Brahman and remembering Me, he who departs, leaving the body, attains to the Supreme Goal.
गीता आठवाँ अध्याय श्लोक – १४
अनन्यचेताः सततं यो मां स्मरति नित्यशः ।
तस्याहं सुलभः पार्थ नित्ययुक्तस्य योगिनः ॥८-१४॥
-: हिंदी भावार्थ :-
हे अर्जुन! जो पुरुष मुझमें अनन्य-चित्त होकर सदा ही निरंतर मुझ पुरुषोत्तम को स्मरण करता है, उस नित्य-निरंतर मुझमें युक्त हुए योगी के लिए मैं सुलभ हूँ, अर्थात उसे सहज ही प्राप्त हो जाता हूँ॥14॥
-: English Meaning :-
Whoso constantly thinks of me and long, to him I am easily accessible, O son of Pritha, to the ever-devout Yogin.