वाटर मदर या जल माता के नाम से मशहूर अमला रुइया उत्तर प्रदेश में जन्मी और इस समय मुंबई में रहने वाली एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं, जिन्होंने पूरे राजस्थान में 100 से अधिक गाँवों में पारंपरिक जल संचयन तकनीकों का निर्माण किया है, और चेक डैम बनाए हैं। राजस्थान विशेष रूप से सूखे से प्रभावित क्षेत्र है, और पानी बचाने के लिए एक स्थायी समाधान खोजने के प्रयास में, अमला ने आकर चैरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना की।
★ जानिए सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक बिंदेश्वर पाठक के बारे में
अमाल रुइया चेक डैम बनाने के लिए ज्यादा से ज्यादा प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करती हैं :-
● आकर चैरिटेबल ट्रस्ट प्राकृतिक स्रोतों जैसे कि पानी, वनस्पति और मिट्टी के संरक्षण के साथ-साथ शिक्षा को भी बढ़ावा देने का भी कार्य करता है।
● स्थानीय समुदायों के साथ, ट्रस्ट जल संरक्षण के तरीकों और योजनाओं में काम करता है। ये ट्रस्ट एक जलाशय को खोदकर बनाने के बजाय प्राकृतिक घाटियों या चेक डैम में पानी का संचय करने का प्रयास करते हैं।
● पहाड़ी इलाकों में प्राकृतिक रूप से पहले से ही बनी ढलानों का उपयोग किया जाता है और उनके नीचे बनी घाटियों को चारों तरफ से बांधकर जल संचय करते हैं।ये लोग मिलकर काम करते हैं और जितना हो सके प्राकृतिक संसाधनों और पहले से ही बने आकारों का उपयोग करते हैं।
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अमला रुइया और आकार ट्रस्ट ने राजस्थान के 100 गांवों में 200 से अधिक डैम बनाये हैं :-
● अमला रुइया के नेतृत्व में आकर चैरिटेबल ट्रस्ट ने पूरे राजस्थान के 100 गांवों में 200 से अधिक चेक डैम बनाए हैं।
● ट्रस्ट चेक डैम बनाने के लिए आवश्यक 60% संसाधनों की आपूर्ति करता है, और शेष 40% संसाधनों के वहाँ के समुदाय से मदद ली जाती है, और उसके रख रखाव की जिम्मेदारी भी सौंपी जाती है।
● इस पारंपरिक रेन वाटर हार्वेस्टिंग तकनीक से अमला रुइया ने राजस्थान क्षेत्र में रहने वाले कई लोगों के जीवन को बदल दिया है।
अमला रुइया के इस कार्य से वहाँ के ग्रामीणों का जीवन बदल गया :-
● जहाँ पहले ग्रामीण किसान साल में एक फसल भी मुश्किल से ऊगा पाता था। अब वही ग्रामीण प्रति वर्ष तीन फसलें उगाने और पशुओं को पालने में सक्षम हो गया है।
● वहाँ की लड़कियां अब स्कूल जाने में सक्षम हैं, क्योंकि उन्हें अब अपनी माँ के साथ लंबी दूरी से पानी लाने नहीं जाना पड़ता है।
● इसीलिए अमला रुइया को जल माता या पानी माता और जल देवी जैसे नामो की संज्ञा दी गई है।
अमला रुइया को मिले सम्मान :-
● 2011 में अमला रुइया को सामुदायिक सेवा और सामाजिक उत्थान की श्रेणी में लक्ष्मीपत सिंघानिया – आईआईएम लखनऊ राष्ट्रीय नेतृत्व पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
● 2016 में अमला रुइया को वुमन ऑफ वर्थ सोशल अवार्ड श्रेणी के लिए नामांकित किया गया था।
● 2018 में अमला रुइया को इंडिया आई इंटरनेशनल ह्यूमन राइट्स ऑब्जर्वर अचीवमेंट अवार्ड सम्मान से नवाजा गया।
अमला और उनकी टीम अन्य राज्यों में भी काम कर रहे हैं :-
रुइया और उनकी टीम ने मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उड़ीसा, छत्तीसगढ़ और अन्य राज्यों में अपने प्रयासों को बढ़ाया है। उनकी बिहार, हरियाणा, उत्तरांचल और उत्तर प्रदेश में विस्तार करने की भी योजना है।
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